मन को प्रभु सेवा में लगाना ही सर्वोत्तम कर्म - कथावाचक आचार्य सतीश जुगड़ी - TOURIST SANDESH

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रविवार, 19 अक्टूबर 2025

मन को प्रभु सेवा में लगाना ही सर्वोत्तम कर्म - कथावाचक आचार्य सतीश जुगड़ी

 मन को प्रभु सेवा में लगाना ही सर्वोत्तम कर्म - कथावाचक आचार्य सतीश जुगड़ी 

विकास नगर/देहरादून। नौटियाल परिवार द्वारा आयोजित तृतीय दिन के भागवत कथा सप्ताह में प्रसिद्ध कथावाचक सतीश जुगड़ी ने कहा कि मन ही मानव के सभी कर्मों का नियंत्रक है। मन की सद्वृत्तियों से ही मानव सद्कर्मों की ओर प्रवृत्त हो सकता है। मानव मन को प्रभु सेवा में लगाना ही सर्वोत्तम कर्म है। मन के शुद्धिकरण के लिए मन को निरन्तर प्रभु की सेवा में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा प्रभु सेवा से ही सभी प्रकार के दुःख दूर होते हैं। जीव कर्म में फंसे मानव को हमेशा मर्यादा का पालन करना चाहिए, जब-जब मानव के द्वारा मर्यादा का उल्लघंन होता है तब-तब मानव हमेशा विपत्ति में फंसता है। मन बड़ा चंचल है वह चाहे राजा हो रंक मानव मन के बहकावे में आकर मोह-माया में फंस जाता है।

इस अवसर पर मुन्नी देवी नौटियाल, कुशला देवी, ऊषा देवी, ऊषा नौटियाल, हर्ष देव नौटियाल, मथुरा प्रसाद नौटियाल, लक्ष्मी जुयाल, संदीप नौटियाल, तोताराम नौटियाल, पद्मा देवी, सुनील नौटियाल, कुसुम नौटियाल, मुकेश नौटियाल, नीना नौटियाल, राजेश नौटियाल, प्रतिमा नौटियाल, दीपा नौटियाल, दिनेश नौटियाल, ज्योति नौटियाल, प्रवेश नौटियाल, अर्चना नौटियाल आदि पारिवारिक जन उपस्थित थे।

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