मानव को अंहकार तथा कर्तापन के अभिमान से रहित होना चाहिए - कथावाचक रवीश काला
सभी आश्रमों में श्रेष्ठ आश्रम गृहस्थ आश्रम
पौड़ी। जिला पौड़ी गढ़वाल के गजल्ड ग्राम में कोठारी परिवार द्वारा आयोजित पंचम दिवस के भागवत कथा सप्ताह में प्रसिद्ध कथावाचक रवीश काला ने कहा कि, सभी आश्रमों में श्रेष्ठ आश्रम गृहस्थ आश्रम है। गृहस्थ आश्रम से ही अन्य आश्रम सम्भव हैं इसलिए गृहस्थ धर्म का पालन पूर्ण निष्ठा भाव से करना चाहिए। रविवार की भागवत कथा में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का सुन्दर चरित्र चित्रण किया। बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि, जीवन में 15 रस(छः रस भोजन के तथा नौ रस काव्य के) होते हैं।
इस अवसर पर रेवतराम कोठारी, शेखरानन्द कोठारी, विजय कोठारी, बबली कुकरेती, मीना चमोली, सुनील कुकरेती सहित बड़ी संख्या में स्थानीय जनमानस उपस्थित थे।
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