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शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

कोटद्वार नगर निगम हलकान, खाते से लाखों की राशि गायब

 कोटद्वार नगर निगम हलकान, खाते से लाखों की राशि गायब

 कोटद्वार। नगर निगम कोटद्वार में वित्तीय गड़बड़ी का बेहद चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। जानकारी के अनुसार नगर निगम के बैंक ऑफ इंडिया वाले खाते से दो चकबुकों के माध्यम से 22 लाख 32 हजार  छः सौ रूपये की धनराशि नगर आयुक्त तथा लेखाधिकारी के जाली हस्ताक्षर कर निकाली निकाली गयी है। नगर आयुक्त की ओर से पुलिस को दी गयी तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।  ज्ञात हो कि,कोटद्वार नगर निगम का गठन 2018 में हुआ था। निगम के गठन से पूर्व सभी खातों का संचालन नगर पालिका कोटद्वार के नाम से होता था। इसी क्रम में 1979 में बैंक ऑफ इंडिया में एक खाता खोला गया था। 23 अगस्त 2005 को नगर पालिका तथा 3 फरवरी 2018 को नगर निगम के नाम से इस खाते से दो चेक बुक जारी की गयी थी। अभी कुछ दिन पूर्व ही जांच से पता चला कि, नगर निगम के उक्त खाते से जारी की गयी इन चेक बुकों के माध्यम से 25 जून से लेकर 27 जुलाई 2021 के मध्य विभिन्न तिथियों पर चेकों के माध्यम से धनराशि आहारित की गयी है। इस सम्बन्ध में जब बैंक से सम्पर्क किया गया तो निगम प्रशासन की पैरों तले जमीन खिसक गयी। बैंक को जारी किये गये चेकों में नगर आयुक्त के साथ ही लेखाधिकारी के जाली हस्ताक्षर थे। मामले की गम्भीरता को देखते हुए नगर आयुक्त पी एल शाह की ओर से कोटद्वार कोतवाली में मामले से सम्बन्धित तहरीर दी गयी है। थाना कोतवाल ने बताया है कि, तहरीर के आधार पर छह संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया गया है।

नगर आयुक्त ने बताया कि नगर निगम की ओर से भुगतान के लिए सम्बन्धित चेक जारी करने से पूर्व बहुत सावधानी बरती जाती है। सम्बन्धित पक्ष को चेक जारी होने से पूर्व कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। निगम में भुगतान के लिए आने वाले बिल को पुष्टि के लिए भेजा जाता है। सम्बन्धित विभागीय अधिकारी की आख्या के बाद बिल लेखा विभाग में भेजा जाता है जहां बिल के साथ लगे सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है। जांच के उपरान्त सन्तुष्ट होने पर ही लेखा विभाग चेक में भुगतान की जाने वाली राशि अंकित करता है तथा हस्ताक्षर के लिए चेक लेखाधिकारी को भेजा जाता है। लेखाधिकारी फिर से सभी दस्तावेजों की जांच करते है तथा सन्तुष्ट होने पर ही चेक में हस्ताक्षर करते हैं। अन्त में चेक हस्ताक्षर के लिए नगर आयुक्त के पास पहुंचता है, नगर आयुक्त भी सम्बन्धित प्रपत्रों की जांच के उपरान्त ही चेक पर हस्ताक्षर करते हैं। उन्होंने बताया कि मामला बेहद ही गम्भीर है, यह स्पष्ट है कि धनराशि का आहरण जाली हस्ताक्षरों के माध्यम से किया गया है। लेकिन चेक बुक बाहर कैसे आयी यह बड़ा सवाल है। पुलिस अपनी जांच करेगी, परन्तु निगम भी इस पूरे प्रकरण की स्वयं भी जांच करेगा। उन्होंने कहा कि, यदि पूरे प्रकरण में नगम के किसी भी कर्मी की संलिप्तता पायी गयी तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवायी की जायेगी। 

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