कोटद्वार नगर निगम - TOURIST SANDESH

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सोमवार, 28 जनवरी 2019

कोटद्वार नगर निगम

कोटद्वार नगर निगम 

कब होगी मुख्य नगर अधिकारी की नियुक्ति?



कोटद्वार। नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार कर कोटद्वार और ऋषिकेश को नगर निगम बनाये 1 साल से अधिक समय  व्यतीत हो चुका है। परन्तु सरकार की उदासीनता के चलते अभी तक मुख्य नगर अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पायी है। मुख्य नगर अधिकारी की नियुक्ति न हो पाना इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि सरकार ने नगर निकायों की सीमा विस्तार में बड़ी तेजी दिखाई थी। परन्तु मुख्य नगर अधिकारी सहित नये मानकों के अनुसार आवश्यक संसाधनों सहित कार्मिक वृद्धि नहीं हो पायी है। सरकार के बिन योजना के बनाये गये नगर निगम आज विकास के लिए तरस रहे हैं संसाधनों के अभाव में नगर निगम हांपने लगे हैं। कमोबेश यही स्थिति सीमा विस्तार वाले नगर निकायों की भी है। राज्य सरकार ने आठ दिसम्बर 2017 को कोटद्वार तथा ऋषिकेश नगर पालिका को भंग कर इन्हें उच्चीकृत करने का सरकारी आदेश पारित किया था। इसके बाद एक साल तक नगर निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति रही। नवम्बर 2018 में निकाय चुनावों के बाद कोटद्वार तथा ऋषिकेश में महापौर के नेतृत्व में नया निगम बोर्ड गठित किया गया। परन्तु सरकार ने अभी तक यहां न तो आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये है और ना ही मुख्य नगर अधिकारी की नियुक्ति हो पायी है। यह जिम्मेदारी सम्बन्धित जिलाधिकारी अपने उपजिलाधिकारियों के माध्यम से निभा रहे हैं। जबकि नये निगमों में वित्त प्रबन्धन की बहुत अधिक आवश्यकता होती है परन्तु अभी तक दोनों निगमों में वित्त अधिकारी की भी नियुक्ति नहीं हो पायी है। आवश्यक बिलों और कागजातों के हस्ताक्षर के लिए कोटद्वार नगर निगम के अधिकारी पौड़ी के चक्कर काट रहे हैं। जबकि ऋषिकेश निगम कर्मचारी देहरादून तक दौड़ लगा रहे हैं।
आवश्यक संसाधनों की कमी से जूझता कोटद्वार नगर निगम का हाल यह है कि यहां नगर निगम के पास 40 पार्षदों को एक साथ बैठाने के लिए सभागार तक उपलब्ध नहीं है। नगर निगम कर्मचारियों की कमी से बुरी तरह प्रभावित है परन्तु कार्मियों को ढांचा मंजूर करने का प्रस्ताव दो माह से वित्त विभाग में धूल फांक रहा है। यही कारण है कि सीमा विस्तार के बाद भी नगर निगम नगर पालिका के ढर्रे पर ही चल रहा है। कोटद्वार पालिका में मात्र 11 पार्षद थे जबकि नगर निगम बनने के बाद वर्तमान में 40 पार्षद हैं। नगर निकाय चुनाव से पूर्व सीमा विस्तार से प्रभावित होने वाले नये क्षेत्रों में अभी तक स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पायी है। नए शामिल क्षेत्रों में नव निर्वाचित पार्षद की ही मौजूदगी भर है। वह भी संसाधन रहित होकर मात्र खानापूर्ति तक सीमित है।

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