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शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

         भाबर का मतदाता ही तय करेगा कोटद्वार का अगला मेयर
कोटद्वार। नव सृजित नगर निगम कोटद्वार का अगला मेयर कौन होगा यह निर्णय कोटद्वार नगर निगम में शामिल भाबर के 73 गांव ही करेंगे। नगर निगम में इस बार की यह चुनावी जंग बेहद दिलचस्प रहने वाली है। निगम में भाबर के जिन 73 गांवों को शामिल किया गया है। उनमें एक लाख  से अधिक मतदाता है। ऐसे में इन क्षेत्रों का मतदाता ही निर्णयाक भूमिका में है। इन 73 गांव में नगर निगम के विस्तार का खुला विरोध भी हुआ था।  आपदा के जख्म भी कोटद्वार के वोटर के मानस पटल पर अभी तक अंकित है। मौजूदा सरकार का उपेक्षित रवैया ने  भी जख्मों पर नमक छिड़करने का कार्य किया है। कूडा़ निस्तारण हो या शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था हर ओर शासन-प्रशासन का मुंहचिडा़  रही हैं। जहां एक ओर अतिक्रमण ने शहर की फिजा खराब की है तो दूसरी और आमजन के जिए परेशानी का सबब भी बना है। अतिक्रमण, आपदा, साफ-सफाई तथा कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था न होने के कारण गढ़वाल के द्वार की व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमराई हुई है।  ऐसे में इन क्षेत्रों के मतदाताओं को लुभाने के लिए उम्मीदवारों को खासा पसीना बहाना पडेगा। ठंड में गर्मी का एहसास कराने वाले यह चुनाव उम्मीदवारों के लिए कठिन राह का सबब बनेंगे। क्योंकि निगम में शामिल इन क्षेत्रों का मतदाता निगम के विरोध में भी रहा है तथा नागरिक सुविधाओं से वंचित  रहने के कारण विस्तार के लिए जो कदम शासन द्वारा उठाये गये है वह अपूर्णता की ओर ही संकेत करते हैं। आने वाले नये नवेले मेयर और पार्षदों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी कि नगर की यातायात व्यवस्था को कैसे सुचारू किया जाय, शहर में कूड़ा उठान व निस्तारण की व्यवस्था करना, अतिक्रमण को हटाना, तथा नागरिक सुविधाओं को सुचारू करना भी एक बड़ी चुनौति है।   बावजूद इसके शामिल किये गये भाबर के इन क्षेत्रों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए उम्मीदवारों  ने  अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। देखना होगा कि भाबर के नये शहरी मतदाताओं को रिझाने के लिए कौन से उम्मीदवार की रणनीति अधिक कामयाब हो पाती है। 

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