सामूहिक प्रयासों से होगा हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं का न्यूनीकरण - सुरेश भाई, पर्यावरणविद्
पर्वतीय क्षेत्रों में 5.5 मीटर चौड़ी सड़कों का मानक हो निर्धारित
हिमालय की संवेदनशीलता के अनुरूप हो हिमालयी क्षेत्रों की विकास नीति
जलवायु परिवर्तन है हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं का प्रमुख कारण
कोटद्वार।(शुक्रवार, 31 अक्टूबर) में हिमालयी क्षेत्रों में सामूहिक प्रयासों से आने वाली आपदाओं का न्यूनीकरण सम्भव है। यह बात स्व. सरोजनी देवी की 14 वीं पुण्यतिथि पर सामाजिक संस्था सरोजनी देवी लोक कल्याण विकास समिति के तत्वावधान आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुरेश भाई ने कही। कार्यक्रम में चर्चा का विषय - हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ती आपदाएं : कारण एवं निवारण रखा गया था। उन्होंने स्व. सरोजनी देवी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं का बढ़ने का एकमात्र कारण मानव का लालच ही है। जिसके कारण इस क्षेत्र में विकास के नाम पर संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। विकास के नाम पर बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं, पहाड़ों को खोद कर बनायी जाने वाली चौड़ी सड़कें, मलबे का उचित प्रबन्ध न होना तथा हिमालयी क्षेत्रों में संसाधनों का अत्यधिक दोहन ही आपदाओं का प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि, पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का मानक 5.5 मीटर से अधिक चौड़ा नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, इन आपदाओं के न्यूनीकरण के लिए दोहन को सीमित करते हुए संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। हिमालयी क्षेत्रों में आपदाओं का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन का मानते उन्होंने कहा कि, आज इस दिशा में कार्य किये जाने की आवश्यकता है ताकि इन क्षेत्रों में आपदाओं का न्यूनीकरण किया जा सके इसके लिए हम सब को सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
विशिष्ट वक्ता शिक्षक डॉ पद्मेश बुडाकोटी ने हिमालय की संरचना की जानकारी देते हुए बताया कि, हिमालय अभी निरन्तर बढ़ रहा है। उन्होंने ने कहा कि, हिमालयी संस्कृति से आत्मसात् करने से ही हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली आपदाओं कम हो सकती हैं। उन्होंने ने हिमालयी क्षेत्रों में हिमालय की संवेदनशीलता के अनुरूप ही विकास नीति बनाये जाने पर जोर दिया।
प्रसिद्ध समाजसेवी सत्य प्रकाश थपलियाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में इंजीनियर अरूण पांथरी, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ नन्द किशोर ढौंडियाल, समाजसेवी डॉ सुरेन्द्र लाल आर्य तथा वयोवृद्ध पत्रकार योगेश पांथरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक राजेन्द्र सिंह नेगी ने उपस्थित सभी जनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, हिमालयी क्षेत्र अति संवेदनशील है। विकास कार्यों को धरातल पर उतारने से पूर्व इसकी संवेदनशीलता पर अवश्य विचार किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में समाज में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए एडवोकेट अवनीस नेगी तथा राम कण्डवाल को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य प्रवेश नवानी, शिव प्रकाश कुकरेती, नागरिक मंच के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश नैथाणी, गोपाल कृष्ण बड़थ्वाल, के सी निराला, प. राकेश लखेड़ा, गोविन्द डंडरियाल, उम्मेद सिंह चौहान, गणेश मणी त्रिपाठी, दिनेश जुयाल, सम्पत्ति नेगी, प्रभा देवी, ललन बुड़ाकोटी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन सुभाष चन्द्र नौटियाल ने किया।

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