कर्म से बन्धे जीव की मुक्ति के लिए भागवान नाम जपना अनिवार्य - कथावाचक रवीश काला - TOURIST SANDESH

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सोमवार, 23 जून 2025

कर्म से बन्धे जीव की मुक्ति के लिए भागवान नाम जपना अनिवार्य - कथावाचक रवीश काला

 कर्म से बन्धे जीव की मुक्ति के लिए भागवान नाम जपना अनिवार्य - कथावाचक रतीश काला 


पौड़ी। जिला पौड़ी गढ़वाल के गजल्ड ग्राम में कोठारी परिवार द्वारा आयोजित षट्म दिवस के भागवत कथा सप्ताह में प्रसिद्ध कथावाचक रतीश काला ने कहा कि, कर्म से बन्धे जीव की मुक्ति के लिए भगवान का नाम जपना अनिवार्य है। बिना भगवान नाम के जीव मुक्ति सम्भव नहीं है। आज की कथा में कथावाचक ने भगवान श्रीकृष्ण के विविध प्रसंगों का शानदार वर्णन किया। उन्होंने कहा कि, मानव द्वारा पूर्व, ईष्ट और दत्त तीन प्रकार के कर्म होते हैं। गुरु, माता-पिता तथा अपने श्रेष्ठ जनों की सेवा पूर्व कर्म कहलाते हैं। कुवां, बावड़ी, तालाब, विद्यालय, हवन-यज्ञ तथा अस्पताल आदि की स्थापना करवाना ईष्ट कर्म कहलाते हैं। जरूरतमंदों की सेवा करना(भूमि, अन्न, वस्त्र आदि दान देना) दत्त कर्म कहलाते हैं। प्रत्येक मानव को पूर्ण निष्ठा भाव से तीनों कर्म करने चाहिए। सोमवार की कथा में उन्होंने रूक्मिणी एवं श्रीकृष्ण के विवाह सहित, युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ, द्रौपदी का चीरहरण, महाभारत की कथा भी सुनायी।

इस अवसर पर रेवतराम कोठारी, शेखरानन्द कोठारी, विजय कोठारी, बबली कुकरेती, मीना चमोली, सुनील कुकरेती सहित बड़ी संख्या में स्थानीय जनमानस उपस्थित थे।


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