10% क्षैतिज आरक्षण बहाल करने व चिन्हीकरण की प्रक्रिया पूर्ण करने की माँग को लेकर राज्य आन्दोलनकारियों ने पकड़ी आंदोलन की राह
देहरादून। शहीद स्मारक देहरादून में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सयुंक्त मंच के तत्वावधान में राज्य आंदोलनकारियों को राजकीय सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण बहाल करने व चिन्हीकरण की प्रक्रिया पूर्ण करने की माँग को लेकर आंदोलन की राह पकड़ ली है। आन्दोलनकारियों का धरना दूसरे दिवस भी जारी रहा। ज्ञात हो कि, राज्य आन्दोलनकारी 26 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
संयुक्त मंच के संयोजक क्रांति कुकरेती ने बताया कि, सरकार की मंशा साफ नहीं है वह केवल आंदोलनकारियों को बरगलाने में लगी है। पहले मार्च 2023 में अपने सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर सूचना विभाग द्वारा ज़ारी उपलब्धियों के पहले नम्बर पर ही आंदोलनकारियों को 10% आरक्षण देने की बात कही। उसके बाद पत्रकार वार्ता में भी इस बात को दोहराया गया। प्रवर समिति का कार्यकाल तीन बार बढ़ाने के बाद किसी तरह एक्ट तैयार हो पाया। उसके बाद 15 दिन के भीतर विशेष सत्र आहूत राजभवन भेजने की बात कही गई। इस बात को अब लगभग कर 45 दिन हो चुके हैं। सरकार लगातार झूठ बोल रही है।
उन्होंने कहा कि, 28 दिसंबर को हम सरकारी झूठ की शव यात्रा निकालेंगे और उसका दहन किया जायेगा ताकि सरकार सत्य की राह पर लौट आये।
आंदोलन को समर्थन देने उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी भी पहुँचे। भुवन कापड़ी ने कहा कि स्वयं संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में 15 दिनों के भीतर विशेष सत्र की बात की थी। इसलिए सरकार को अविलंब सत्र आहूत करके आरक्षण विधेयक मंजूर करना चाहिए।
धरने में बैठने वालों में विमल जुयाल, राम किशन, मोहन सिंह रावत, सुनीता ठाकुर, अंबुज शर्मा , विनोद असवाल, सूर्यकांत शर्मा, अजय शर्मा, बाल गोविंद डोभाल, हरदेव रावत, मुन्नी खंडूरी, मीरा गुसाईं, यशोदा रावत , राजेश्वरी रावत, दुर्गा रतूड़ी, सावित्री पंवार,प्रभात डंडरियाल,धर्मानन्द भट्ट , क्रांति कुकरेती आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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