पंचतत्व में विलीन हुए कलम के पुरोधा सुधीन्द्र नेगी - TOURIST SANDESH

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रविवार, 24 अक्तूबर 2021

पंचतत्व में विलीन हुए कलम के पुरोधा सुधीन्द्र नेगी


 पंचतत्व में विलीन हुए कलम के पुरोधा सुधीन्द्र नेगी

स्मृति शेष

कलम के पुरोधा सुधीन्द्र नेगी का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया है, कल प्रातः उनका आकस्मिक निधन हो गया था, कल शाम को कण्वाश्रम घाट पर उन्हें नम आखों से अन्तिम विदाई दी गयी। श्री नेगी काफी समय से बीमार चल रहे थे, कलम के धनी श्री नेगी अपनी बेबाक पत्रकारिता के लिए हमेशा याद किए जायेंगे। उनका जन्म 18 अगस्त 1956 को कोटद्वार नगर के झण्डीचौड़ क्षेत्र में हुआ था। आपके पिताजी स्व. भूपेन्द्र सिंह नेगी साप्ताहिक पत्र ठहरो के संस्थापक सम्पादक थे। आपके पिताजी का सन् 1996 में स्वर्गवास होने पर आपने ठहरो का सम्पादन कार्य अपने हाथों में ले लिया तथा सन् 2005 तक ठहरो का  संपादन किया। वर्ष 2005 में आपने ठहरो का नाम बदल कर दुंदुभि कर दिया। आपके द्वारा व्यंग्यात्मक शैली में  लिखे गये लेखों की सीरीज चतुरलाल की चौपाल को अपने समय में काफी प्रसिद्धि मिली। अपनी विशिष्ट लेखन शैली के कारण पत्रकारिता जगत में आप की एक अलग ही पहचान थी। निर्भीक पत्रकारिता,उन्हें अपने पिता कामरेड भूपिंदर सिंह नेगी से विरासत में मिली थी। उनका पत्रकारिता का सफर सन् 1992 से शुरू हुआ, ठहरो साप्ताहिक से शुरू यह सफर 2005 में दुंदुभी साप्ताहिक  के साथ अन्तिम पहर तक निरन्तर चलता रहा। श्री नेगी मात्र एक पत्रकार ही नहीं थे बल्कि एक कलाकार, संगीतकार,नाट्य निर्देशक, फुटबाल खिलाड़ी आदि गुणों से भी परिपूर्ण थे। पत्रकारिता के उच्च मानदण्डों पर खरा उतरने वाले श्री नेगी का मानवीय पक्ष भी बहुत सशक्त था। आप सदा पत्रकारों की आवाज बनकर पत्रकारों के सुख दुख में खड़े होते थे। समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कोटद्वार में पत्रकारिता के एक पुरोधा की जीवन की पारी का भले ही अन्त हो गया हो परन्तु अपने सशक्त विचारों तथा पत्रकारिता की विशेष शैली के कारण आप हमेशा जीवित रहेगें। कोटद्वार की पत्रकारिता के लिए यह अपूर्णीय क्षति है। हम आप को हृदय की गहराइयों से सादर श्रद्धांजलि देते हैं।

 

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