उत्तराखण्ड में बढती बेराजगारी की दर,युवा जगा रहे हैं उम्मीद
नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी का कारण हुए लॉकडाउन का असर अब कई राज्यों के रोजगार पर पड़ रहा है। देश के साथ ही कई राज्यों में बेरोजगारी दर लगातार निरन्तर बढ़ती जा रही है। हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी ने आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों के अनुसार मई के महीने में भारत की बेरोजगारी दर 11.6 फीसदी है। सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण भारत के बजाय शहरी क्षेत्रों में अधिक तेजी से बेरोजगारी बढ़ी है। मई में जहां शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 13.9 फीसदी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में यह 10.6 फीसदी है। जहां तक राज्यों की बात है तो एक समय में औद्योगिक हब कहा जाने वाला हरियाणा आज बेरोजगारी में नंबर एक पर आ गया है। वहीं यदि उत्तराखण्ड की बात की जाय तो यहां पर पांच सालों में बेरोगारी की दर छह गुना से अधिक हो चुकी है। कोरोना महामारी में इसमें सबसे अधिक वृद्धि हुई है। सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी(सीएमआईई) के अनुसार 2016-17 में बेरोजगारी की दर 1.61 फीसद, 2017-18 में 1.02 फीसद, 2018.19 में 2.79 फीसद, 2019-20 में 5.32 फीसद तथा मार्च 2020 से अब तक 10.99 फीसद हो चुकी है।
उत्तराखंड में औसत बेरोजगारी की दर वर्ष दर मार्च 2016 से 2017 1.61% मार्च 2017 से 2018 1.02% मार्च 2018 से 2019 2.79% मार्च 2019 से 2020 5.32% मार्च 2020 से अब तक 10.99% परेशानी का बढ़ता सबब : 40 फीसदी उद्योग-धंधे चौपटकोरोना ने ना सिर्फ लोगों का जीवन छीन रहा है, बल्कि जीने के साधनों पर भी सीधा आक्रमण कर रहा है जिसके कारण राज्य में उद्योग-धंधे भी चौपट हो रहे हैं। प्रदेश में करीब 40 फीसदी उद्योग-धंधे पूरी तरह चौपट होने की कगार पर हैं। संचालन से जुड़े लोगों ने आशंका जताई है कि, यदि आने वाले समय में कोरोना ऐसा ही रहा तो स्थिति बद से बदत्तर हो सकती है। कई लोग रोजगार के अभाव में घरों पर बैठे हैं या फिर रोजगार के नए विकल्प तलाश रहे हैं। आफत में राहत : युवा दिखा रहे हैं हौसलाकोरोनाकाल में जहां एक ओर बेरोजगारी की तादाद बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर कुछ उत्साही युवा स्वरोजगार अपना कर हौसला दिखा रहे हैं। ऐसे युवाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना जैसी योजनाओं ने काफी हद तक राहत दी। ऐसे उत्साही बेरोजगार युवाओं ने अपने कौशल का उपयोग गांव अथवा कस्बों में नए व्यवसाय की शुरुआत कर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए हैं।
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