8 साल से बना खड्डा : बन पायेगा कभी बस अड्डा ? - TOURIST SANDESH

Breaking

शनिवार, 12 जून 2021

8 साल से बना खड्डा : बन पायेगा कभी बस अड्डा ?

8 साल से बना खड्डा : बन पायेगा कभी बस अड्डा ?

8 साल से बने दुर्घटनाओं को निमन्त्रण देता मोटर नगर खड्डे की सुध लेने वाला कोई नहीं

कोटद्वार। सियासत की सियासी चालें जब शह-मात के खेल में बदल जाती हैं तब जनहित के विकास को कैसे अवरूध किया जाता है। यदि इसकी बानगी भर देखना हो तो कण्वनगरी कोटद्वार के मोटर नगर में पी. पी. पी. मोड पर बनने वाले आधुनिक अन्तर्राज्यीय बस अड्डा एंव शॉपिग कॉम्पलेक्स को देख सकते हैं। यह इस बात का जीता-जागता प्रमाण कि, हमारे जनप्रतिनिधि किस प्रकार जनहित के बजाय केवल स्वहित को बढ़ावा देते है तथा यदि किसी विकास कार्य में स्वहित न हो तो उसकी अनदेखी कर तब तक लटका दिया जाता है, जब तक कि उसमें स्वहित न जुड़ जाए। कोटद्वार का आम जनमानस आधुनिक बस अड्डे की आस लगाये किसी चमत्कार की उम्मीद में है कि, कब कोई चमत्कार हो ताकि कोटद्वार विकास की राह खुले परन्तु चमत्कार होता नहीं, विकास की राह खुलती नहीं। शायद कण्वनगरी अभी तक ऋषि दुर्वासा के शाप से पूर्णरूप से मुक्त नहीं हो पायी है तभी तो नेतानगरी में हर बार विकास कार्यों में कोई न कोई रोड़ा अटक ही जाता है जिसके कारण लम्बे समय तक मामला लम्बित हो जाता है। चाहे वह लालढ़ांग-चिलरखाल का मामला हो या कण्वाश्रम विकास का या कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का सभी विकास कार्य लम्बित पड़े है। ऋषि दुर्वासा के शाप से शॉपित भूमि कराह रही है तो नेता बयानवीर बन कर धीरे से मुस्कराकर खिसक जाते हैं। शायद यही गढ़वाल के द्वार की नियति बन चुकी है।

क्या है मामला ?

वर्ष 2013 में तत्कालीन नगर पालिका परिषद कोटद्वार ने अपने अधीन सिताबपुर मोटर नगर स्थित भूमि पर एक आधुनिक बस अड्डा तथा शॉपिग कॉम्पलैक्स बनाने का प्रस्ताव रखा जिसका क्षेत्रफल 1580 वर्गमीटर है। परिषद द्वारा वृहत कार्ययोजना बना कर इसे शहरी विकास विभाग उत्तराखण्ड को भेजा गया। परिषद के इस प्रस्ताव को शहरी विकास विभाग उत्तराखण्ड ने स्वीकृति प्रदान की। उक्त भूमि के विकास के लिए 23 मार्च 2013 को नगर पालिका परिषद कोटद्वार तथा रमेस्थ कान्स्ट्रशन प्रा0लि0 के मध्य एक अनुबन्ध किया गया। अनुबन्ध के अनुसार उक्त भूमि पर रमेस्थ कान्स्ट्रशन प्रा0लि0 को निर्धारित समय दो साल में आधुनिक बस अड्डा तथा शॉपिंग काम्पलैक्स तैयार करना था तथा साथ ही कुल उत्पादित राजस्व का 5.71 प्रतिशत कोटद्वार नगर पालिका परिषद को दिये जाने का प्राविधान किया गया था। परन्तु बिना भू-उपयोग परिर्वतन किये वहां पर निर्माण कार्य सम्भव नहीं था। 6 माह बाद उक्त भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन कर आवासीय भूमि घोषित किया गया। उसके बाद कार्यदायी संस्था ने 6 माह की देरी से कार्य शुरू होने को आधार बना कर परियोजना को समय पर पूरा करने में असमर्थता जता कर समय वृद्धि की बात की मांग की जिसे तत्कालीन परिषद के अधिशासी अधिकारी द्वारा स्वीकार करते हुए एक साल की समय वृद्धि कर दी गयी। समय वृद्धि के बाद भी कार्यदायी संस्था ने न सिर्फ कार्य करने में टाल-मटोल किया बल्कि परिषद पर आरोप लगाया कि, परिषद द्वारा अभी तक समझौते के अनुसार पूरी भूमि उपलब्ध नहीं करायी गयी है। कार्यदायी संस्था के कार्य से असन्तुष्ट होकर पालिका द्वारा 31 दिसम्बर 2016 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से कार्य वेदखली का नोटिस दिया गया। नोटिस के विरूद्ध कार्यदायी संस्था ने जिला न्यायालय पौड़ी में गुहार लगायी। 14 फरवरी 2017 को जिला न्यायालय पौड़ी ने यथास्थिति बनाये रखने के आदेश पारित किये। पालिका ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय नैनीताल में चुनौती दी। उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा 31 मई 2017 को जिला न्यायालय पौड़ी के आदेश को खारिज कर दिया गया। उसके बाद कार्यदायी संस्था द्वारा ऑबर्टिशन कॉउन्सिल में वाद दायर किया गया। ऑबर्टिशन कॉउन्सिल ने विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों से एक साल का समय मांगा परन्तु एक साल बाद भी दोनों पक्षों में आपसी सहमति न बन पाने के कारण इसे छः-छः माह के अन्तराल से बढ़ाया जा रहा है। फिर भी आपसी सहमति नहीं बन पा रही है। इसी बीच नवम्बर 2017 में क्षेत्रीय विधायक तथा राज्य के वन मंत्री डॉ हरक सिह रावत की मध्यस्थता में तत्कालीन पालिका परिषद तथा कार्यदायी संस्था के मध्य एक समझौता हुआ। समझौते के तहत् कार्यदायी संस्था ऑबर्टिशन कॉउन्सिल में दायर बाद वापस लेने, कुल उत्पादित राजस्व का 10 प्रतिशत पालिका को देने तथा परियोजना को 36 महीने में पूरे करने का प्राविधान किया गया था परन्तु इसके बाद भी कार्यदायी संस्था द्वारा अभी तक काम शुरू नहीं किया गया। कोटद्वार का आमजन मानस आज भी आधुनिक बस अड्डे की बाट जोह रहा है। ज्ञात हो कि कोटद्वार गढ़वाल के पहाड़ी भूभाग को मैदानों से जोड़ने वाला यातायात का महत्वपूर्ण हब है।

क्या कहते हैं अधिकारी?

मामला अभी ऑबर्टिशन कॉउन्शिल में चल रहा है। विवाद को शीघ्र सुलझाने के लिए प्रयास जारी हैं।

  नगर आयुक्त, कोटद्वार नगर निगम


अनुत्तरित सवाल

1 जब किसी भी कृषि भूमि पर निर्माण कार्य किया जाता है तो सर्वप्रथम उस भूमि का लैंड यूज चेन्ज किया जाता है परन्तु जब मोटर नगर में बस अड्डा निर्माण का प्रस्ताव रखा गया तो ऐसी कौन सी जल्दी थी कि बिना भूमि का भू-उपयोग परिर्वतन किये ही निर्माणदायी संस्था के साथ करार किया गया ? 

2  निर्माणदायी संस्था ने बिना पूरी भूमि हस्तान्तरित हुए ही बेसमेंट की खुदाई क्यों की ? 

 3  कार्यदायी संस्था द्वारा 2013-14 के बाद से ही परियोजना में बेसमेन्ट का काम होने के बाद आगे कोई काम नहीं किया गया फिर भी किस कारण कार्यदायी संस्था को अभी तक हटाया नहीं गया है, जबकि उच्च न्यायालय नैनीताल का निर्णय भी पालिका के पक्ष में था ?

4  वाद सुलझाने के लिए ऑबर्टिशन कॉन्उसिल में बार-बार समय वृद्धि क्यों की जा रही है?

5  परियोजना पूरी होने में देरी से होने वाली हानि की क्षर्तिपूर्ति कौन करेगा?    


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें