सर्वोदय सेवा का पथिक : मान सिंह रावत
सुभाष चन्द्र नौटियाल
हिमालय क्षेत्र की पुण्य देवभूमि उत्तराखण्ड सदा ही उच्च मानवीय गुणों से परिपूर्ण मानवों की भूमि रही है। यहां पर जन्म लेने वाले मानव सदा ही श्रेष्ठ मानवीय गुणों को धारित करते हैं। इसलिए यह भूमि देवभूमि कहलाती है। देवत्व से ओत-प्रोत इस भूमि में समय-समय पर अनेक महापुरूषों ने जन्म लेकर मानव की भावी पीढ़ी को जीने की नयी राह बतायी है। मान सिंह रावत भी ऐसे ही श्रेष्ठ महापुरूषों मेंं एक थे। जिन्होंने आजीवन सर्वादय सेवा का व्रत लिया था। मान सिंह रावत उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले के निष्ठावान सर्वोदय सेवक थे। वह गांधीजी के ग्राम स्वराज, विनोबा भावे के सर्वोदय और जयप्रकाश नारायण के जीवनदान के मूल सिद्धान्तों के प्रति गहरी आस्था रखते थे। सर्वोदय आन्दोलन में उनके द्वारा किया गया कार्य ग्राम स्वराज का कार्य था। उन्होंने देश के विकास के लिए जीविका आन्दोलन मेंं भाग लिया और जीवनदान का संकल्प किया। मान सिंह रावत ने नेपाल, सिक्किम, भूटान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा गढ़वाल में ‘‘विश्व शान्ति पदयात्रा’’ शान्ति और भाईचारे का प्रचार करने के लिए की । उन्होंने उत्तराखण्ड के कण्वनगरी कोटद्वार के मालिनी नदी के तट पर स्थित हल्दूखाता और उसके आस-पास के गांवों में बोक्सा जनजाति के उत्थान और सतत् विकास के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
सर्वोदय सेवा का यह पथिक आजीवन सर्वोदय सेवा का सत्यव्रती था तथा सर्वोदय सेवा के लिए जिया तथा उसी के लिए अपने जीवन का दान कर दिया।
सर्वोदय सेवक मान सिंह रावत का जन्म 24 जनवरी 1928 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले की थैलीसैंण तहसील के अन्तर्गत नाम कैंडुल में हुआ था। आपकी माता का नाम गौरी देवी तथा पिता का नाम बाम सिंह रावत था। आपकी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही सम्पन्न हुई। छठवीं से आठवीं तक की शिक्षा आपने सिलोगी में ली तथा हाईस्कूल की परीक्षा आपने मैसमोर इण्टर कालेज, पौड़ी से उत्तीर्ण की। इण्टर की परीक्षा आपने राजकीय इण्टर कालेज, लैन्सडौन से उत्तीर्ण की तथा स्नातक की परीक्षा आपने आगरा विश्वविद्यालय से पास की। पैरा स्नातक के लिए आप मुम्बई गये तथा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइन्सेंज बम्बई से आपने पैरा स्नातक की डिग्री ली। दो साल की एडवान्स स्टडीज के लिए कोलम्बिया यूनिवर्सिटी न्यूयार्क जाने की आप तैयारी कर चुके थे परन्तु गाँधी जी की शिष्या सरला बहन ने एक साल भूदान यज्ञ में समय देने के लिए आपसे अनुरोध किया जिसे आपने सहर्ष स्वीकार करते हुए भूदान आन्दोलन में यज्ञ आहुति दी। 18 अप्रैल 1954 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर आप सर्वोदय सेवा के ‘जीवनदान’ मिशन से जुड़ गये तथा उसके बाद उत्तराखण्ड में भूदान यज्ञ के लिए निरन्तर कार्य करते रहे। 15 जुलाई 1955 को आपकी शादी बड़े सादे ढंग से शशिप्रभा से हुई। विवाह के पश्चात नवम्बर 1956 से आप बिजनौर, हरिद्वार तथा पौड़ी की सीमा में बोक्सा जनजाति के उत्थान के कार्य में जुड़ गये। बोक्सा जनजाति की शिक्षा और विकास को आपने अपना ध्येय बना लिया। 30 जनवरी 1966 से 31 दिसम्बर 1968 तक निरन्तर तीन साल तक आप सर्वोदय सेवा विचार के प्रचार-प्रसार के लिए पदयात्रा करते हुए विश्व मैत्री यात्रा पर निकल पड़े। दिसम्बर 1968 में गांधी शताब्दी वर्ष तथा सन 1972 तक आप ग्रामीण पेयजल योजना तथा नशामुक्ति के लिए संघर्ष करते रहे।
1972 में कण्वनगरी कोटद्वार के हल्दूखाता में बोक्सा जनजाति को भूमिहीनता से बचाने के लिए आपने सर्वोदय सेवा केन्द्र की स्थापना की। इसका उद्देश्य बोक्सा जन जाति में शिक्षा का प्रसार करना था। 1994 से 2004 तक आप गढ़वाल जिले की नयार घाटी के 85 गाँवों में भ्रमणरत रहे तथा इस दौरान आपने विभिन्न गांवों में ग्राम स्वराज समिति, महिला उत्थान के लिए महिला मंगल दलों की स्थापना, वन संरक्षण के प्रति जनजागरण, बाल संस्कार केन्द्रों की स्थापना जैसे अनेक जनहित के कार्यक्रम चलाते रहे। उत्तराखण्ड में सन 2004 से सन 2005 तकं आपने उत्तराखण्ड में ग्राम स्वराज पदयात्रा के माध्यम से गांवों को नशामुक्त तथा ग्राम सशक्तिकरण करने का संदेश दिया।
कण्वनगरी कोटद्वार में सर्वोदय सेवा के विचारों के क्रियान्वयन के लिए आप निरन्तर कार्य करते रहे। गाँधी विचारों का प्रसार तथा आपकी समाज के प्रति सेवा भक्ति को देखते हुए सन 2015 में आपको अन्तर्राष्ट्रीय जमना लाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार पाने के बाद आपके इन विचारों से आपकी महानता का पता लग जाता है। पुरस्कार राशि को समाज हित के लिए समर्पित करते हुए आपने कहा ‘‘यह राशि हमारी कमाई नहीं है। उसे हम अपने व्यक्तिगत उपयोग में थोड़े ही ला सकते हैं। हम जो कुछ कर रहे हैं, और जो कुछ किया है वह सर्वोदय सेवक के रूप में कर रहे हैं। अतः इस राशि का उपयोग सर्वोदय कार्य को आगे बढ़ाने के लिये ही उचित रहेगा। हमारे लिए इतना ही बहुत है कि इसके कारण हमारी सेवायें आप लोग स्वीकार कर रहे हैं।’’ व्यक्ति अपने विचारों से महान होता है तथा विचारों से ही उसकी महानता का पता लगता है। सर्वोदय सेवक मान सिंह रावत इन महान व्यक्तित्व में सम्मिलित थे जिन्होंने अपना सर्वस्व जीवन समाज सेवा के लिये न्यौछावर कर दिया। 13 फरवरी 2019 को सादा जीवन, उच्च विचार वाला सर्वोदय सेवा का यह पथिक अपनी यात्रा पूर्ण कर अनंत आकाश में विलीन हो गये। भले ही आज मान सिंह रावत जैसे महान व्यक्तित्व भौतिक शरीर के रूप में हमारे बीच में न हों परन्तु वैचारिक रूप से आप सदैव इस धरती पर विराजमान रहेंगे।
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