बच्चों की परवरिश में माता- पिता की भूमिका - TOURIST SANDESH

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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

बच्चों की परवरिश में माता- पिता की भूमिका

 बच्चों की परवरिश में माता- पिता की भूमिका

संग्रह एवं प्रस्तुति 
राजीव थपलियाल 

 इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि, माता-पिता बनना अपने आप में एक खूबसूरत अनुभव होता है। इसके बाद सफरनामा शुरू होता है, अच्छी परवरिश का। बेहतर माता-पिता बनना एक हुनर है। अगर आप इस हुनर का सही व सटीक ढंग से इस्तेमाल करते हैं तो आपका बच्चा अवश्य ही एक बेहतर नागरिक बनने की ओर अग्रसर होगा।बच्चे का सही दिशा अथवा दशा में चलना काफी कुछ माता-पिता पर निर्भर करता है।आपकी परवरिश जैसी होगी, बच्चा भी वैसा ही बनेगा याने कि,आपकी परवरिश पर ही संतान का भविष्य निर्भर है।


👉अगर हमारी परवरिश अच्छी है, परवरिश में कोई कसर नहीं है तो बच्चा जरूर अच्छा बनेगा।विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि,अगर हम सही हैं, हमारा अपनी संतान पर पूरा ध्यान केंद्रित रहता है,कि वह क्या कर रहा है, कहां जा रहा है, बच्चे के लिए क्या सही है, क्या गलत है, अगर बच्चा कुछ गलत कदम उठा रहा हो तो हम उसे समय रहते समझाते हैं,यदि हमारा बच्चा कुछ भी गलत करे तो उसे बढ़ावा ना देकर उसे प्यार से समझाने का प्रयास करते हैं तो बहुत ही अच्छी बात है।बच्चों को बचपन से ही सही-गलत की पहचान हो सके। अगर हम सभी लोग इन सभी बातों पर ध्यान देते हैं तो बच्चे की परवरिश अच्छी होगी।

👉बतौर माता-पिता/अभिभावक हम सभी लोगों को कुछ अहम बातों पर ध्यान रखना जरूरी है।आमतौर पर अभिभावकों का मानना होता है कि, मारने-पीटने से ही बच्चे अनुशासन में रहते हैं।जबकि ऐसा नहीं है।बल्कि बच्चे को प्यार से समझा कर उन्हें नियंत्रण में रखा जा सकता है। इसके विपरीत अगर आपके द्वारा अपने बच्चे के साथ हमेशा कड़ा रूख अपनाया जाता है, तो उसका बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।हमें इस बात को स्वीकारना होगा कि, हर बच्चा अपने आप में असाधारण और प्रतिभाशाली होता है।

👉जरूरत है शुरू से ही बच्चे को इसके अनुरूप तैयार करने की।इसमें सबसे अहम है बच्चे में छिपी प्रतिभा को समझने की,पहचानने की। आप अपनी इच्छा बच्चे पर कभी ना थोपें बल्कि बच्चा भविष्य में जो बनना चाह रहा हो उसे प्राथमिकता दें साथ ही उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन भी देते रहें।

👉जिसकी परवरिश अच्छी ना हुई हो, वह किसी का सम्मान नहीं करता। जिसके अपने अच्छे होते हैं, वह कभी किसी से अपमान नहीं सहता।

👉आपके बच्चे को उपहार की तुलना में आपकी उपस्थिति की आवश्यकता है।अच्छे संस्कार किसी मॉल से नहीं परिवार के माहौल से मिलते हैं।

👉न जरूरत बनाती है, न ख्वाहिश बनाती है। इंसान जो बनता है उसे परवरिश बनाती है।

👉जब हम अपने बच्चों को जीवन के बारे में सब कुछ बताने की कोशिश कर रहे होते हैं,तब हमारे बच्चे हमें बता देते हैं कि जीवन असल में है क्या? किसी ने भी अभी तक पूरी तरह से बच्चे की आत्मा में छिपी सहानुभूति, दया और उदारता के खजाने को नहीं जाना है। वास्तविक शिक्षा का प्रयास उस खजाने को खोलना होना चाहिए।

👉मनोवैज्ञानिक सर्वेक्षण बताते हैं कि, यदि आप अपने बच्चों को बुद्धिमान बनाना चाहते हैं तो उन्हें परियों की कहानियां सुनाएं।

👉आजीवन चलने वाली ड्यूटी है

परवरिश,  यह शब्द सुनने में जितना खूबसूरत लगता है, यह ड्यूटी उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।यह ड्यूटी बच्चे के जन्म से लेकर आजीवन चलती रहती है।अपने दायित्वों का सही से निर्वहन करने के लिए आपको सोच-समझ कर कदम उठाने की जरूरत है।परवरिश कोई आसान काम नहीं है। पर अगर आप पर्याप्त प्लानिंग के साथ इसे करते हैं तो यह काम काफी आसान हो जाता है।

👉वैसे भी कौन माता-पिता नहीं चाहते कि बच्चे को अच्छी परवरिश दें, अच्छे संस्कार दें, पर इस सपने को पूरा करना आपके उपर ही निर्भर करता है कि, आप अपने बच्चे/बच्चों को कैसा ज्ञान दे रहे हैं, उसे क्या सिखा रहे हैं। उसकी परवरिश की तमाम जरुरतें  पूरी हो रही हैं अथवा नहीं।इसके अलावा भी कई ऐसे पहलू हैं जिन पर अमल करना जरूरी है।तभी आपका बच्चा एक बेहतर नागरिक बन सकता  है।

 👉बच्चों की परवरिश के क्या महत्व हैं इससे तो हर कोई वाकिफ है।बच्चे का भविष्य तो परवरिश पर ही निर्भर करता है कि, बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा।बच्चों की सही परवरिश के लिए तो माता-पिता अपना जीवन तक समर्पित कर देते हैं। लेकिन कई बार माता-पिता अनजाने में ही सही कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं,जिनका बच्चे की परवरिश पर सीधा असर पड़ता है।

👉 हम अच्छी परवरिश की बात करें तो उसमें पालन-पोषण की सही शैली, बच्चों का स्वभाव, सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड, अभिभावक के साथ संवाद, मर्यादा की जानकारी, तारीफ करना, अनुशासन की सीमाएं, बेटा-बेटी में समानता, प्रेरणास्रोत, बच्चे की जिम्मेदारियां व अधिकार आदि पर ध्यान केंद्रित करना ही अच्छी परवरिश की पहचान है।

👉ध्यान रहे कि परवरिश  का मतलब सिर्फ बच्चों की बुनियादी जरूरतें पूरी करना ही नहीं है, बल्कि उनकी  बेहतर परवरिश के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है।सबसे पहले तो बच्चों के लिए अच्छा रोल मॉडल बनने का प्रयास करें।

👉यह  कभी न भूलें की हर बच्चा अलग है इसलिए उनकी विशेषताएं भी अलग हैं।

👉कभी भी अपने बच्चे की तुलना अन्य बच्चों के साथ ना करें। अपने बच्चे को हमेशा बेहतरी के लिए प्रोत्साहित करते रहें। बच्चे/बच्चों पर हमेशा भरोसा रखें। उन पर अनुशासन की सीमाएं निर्धारित करने का प्रयास करें।

👉 बड़े होने पर बच्चों के साथ होने वाले बदलाव को स्वीकार करें। हमेशा बच्चे को सहयोग, प्रोत्साहन, प्यार और सम्मान दें।माता-पिता बच्चे  के साथ हमेशा सकारात्मक रहें। गलतियों को बढ़ावा देने के बजाय उसे सुधारने का प्रयत्न करें।बच्चों की उम्र के हिसाब से उनके साथ व्यवहार करें।

👉बच्चों का पालन-पोषण करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। आपके बच्चों का भविष्य आपके हाथ में है, और यह एक बड़ा काम है।यह यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन मुश्किल बिल्कुल नहीं है।साथ ही पुरस्कृत करने योग्य भी है।क्योंकि जब आपके बच्चे बड़े होकर देखभाल करने वाले, समझदार और जिम्मेदार बनते हैं, तब आप अपनी परवरिश  से संतुष्ट महसूस होते हुए नजर आते हैं।

👉 माता-पिता बच्चों के लिए आदर्श होते हैं। आपके हर शब्द बच्चे को प्रभावित करते हैं।माता-पिता की तुलना में किसी अन्य व्यक्ति का बच्चे पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता।

👉 माता-पिता बनना दुनिया की सबसे बड़ी उपाधियों में से एक है।

👉 बच्चे हमारा भविष्य हैं उन्हें अच्छी तरह पढाएं और अपने रास्ते पर आगे बढ़ने दें।उन्हें अपने अंदर मौजूद सुंदरता और जुझारूपन को दिखाएं।

👉 एक पिता की अच्छाई तो पहाड़ से अधिक होती है लेकिन,एक माँ की भलाई समुद्र से अधिक गहरी होती है।

👉 हम अपने बच्चों के लिए भविष्य तैयार करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम कम से कम अपने बच्चों को भविष्य के लिए तैयार तो कर ही सकते हैं।

👉 यह भी एक कटु सत्य है कि,बच्चे जो कुछ भी आप से सीखते हैं, उससे कहीं अधिक आप उनसे सीखते हैं।

👉 जब आप अपने जीवन को ढंग से देखते हैं, तो सबसे बड़ी खुशी पारिवारिक खुशी ही होती है।

👉 प्रेम वह श्रृंखला है जिसके द्वारा बच्चे को उसके माता-पिता के साथ बाँधना है।

👉 अपने बच्चों की खुले तौर पर प्रशंसा करें बच्चे को प्रोत्साहित करते रहें, आपके प्रोत्साहन से ही हर लक्ष्य पूरा करेगा बच्चा।

👉 माता-पिता का प्यार एकमात्र प्यार है जो वास्तव में निस्वार्थ और बिना शर्त के होता है।एक माता-पिता का प्यार गहरी भक्ति, त्याग और दर्द से बना होता है; यह अंतहीन और निःस्वार्थ है।

👉.जब आप अपनी माँ की आँखों में देखते हैं, तो आप जानते हैं कि धरती पर मिलने वाला सबसे शुद्ध प्रेम यही है।बच्चे के लिए माता-पिता की तरह कोई दोस्ती और कोई प्यार नहीं है।

👉 दुनिया में सबसे खूबसूरत चीज है अपने बच्चों को मुस्कुराते हुए देखना और यह जानना कि, आप उनकी मुस्कुराहट के पीछे का कारण हैं।

👉आपको अपने बच्चों से बेइंतहा प्यार करना है यह कठिन है लेकिन, यह एकमात्र तरीका है।

👉माता-पिता बनें और दोस्त भी 

बच्चा जो नहीं कहता है, एक माँ वो भी समझ जाती है।

👉माता-पिता  बच्चों को उनकी प्रतिभा खोजने में मदद करने के लिए सबसे बड़ा उपहार हैं।

👉अपने बच्चों को सलाह देने का सबसे अच्छा तरीका यह पता लगाना है कि, वे क्या चाहते हैं और फिर उन्हें सलाह दें।

👉अंत में  यहाँ पर एक बात और जोड़ना चाहूँगा कि,जन्म देने वाले माता-पिता से अधिक सम्मान के पात्र गुरुजन हैं, क्योंकि माता-पिता तो केवल बच्चों को जन्म देते हैं, लेकिन गुरुजन उन्हें शिक्षित करते हैं। माता-पिता तो सिर्फ जीवन प्रदान करते हैं, जबकि गुरुजन उनके लिए एक बेहतर जीवन को सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं।                                   नोट- इस आलेख को तैयार करने में  अन्य संदर्भों की मदद भी ली गई है।

(लेखक प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरोड़ा संकुल केंद्र- मठाली विकासखंड -जयहरीखाल, जनपद -पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड हैं)                                          

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