अमेरिका में नई सरकार के साथ ही नई सुबह का आगाज
डॉ मुजाहिद हुसैन
लोकतंत्र में असली ताकत जनता के पास ही होती है. अमेरिका में हाल ही में संपन्न चुनाव और सत्ता हस्तांतरण इसी का एक ज्वलंत उदाहरण है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अड़ियल रवैए, तमाम चुनावी प्रक्रिया को नकारने, अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर किए गए ट्रंप समर्थकों के शर्मनाक हमलों के बावजूद विगत 20 जनवरी को जो बाइडन ने अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए पूरे वॉशिंगटन डीसी को एक छावनी में तब्दील कर दिया गया था, और अमेरिकी सेना के द्वारा व्हाइट हाउस मे अभूतपूर्व सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे.
और इसी के साथ अपेक्षाकृत अधिक समावेशी, उदार, और लोकतांत्रिक नेता के रूप में जो बाइडन ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की कमान संभाली. इसी के साथ जो बाइडन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर जब कैपिटल हिल से अमेरिकी जनता को संबोधित किया तो अमेरिका सहित समूचे विश्व की नजरें इस संबोधन पर थी. आखिर अमेरिका विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्रों में अग्रणी है, और कहीं ना कहीं अमेरिका की राजनीति समूचे विश्व की राजनीति पर असर डालती है.
जो बाइडन ने अपने संबोधन में ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" की नीति के स्थान पर "अमेरिका टुगेदर" का नारा दिया. नस्लवादी असमानता, बेरोजगारी, कोविड-19 महामारी से निपटने में नाकामी, स्वास्थ्य संकट, और विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन से उपजने वाले संकट पर जोर दिया. और साथ ही अपनी समावेशी नीतियों को स्पष्ट करते हुए इन समस्त चुनौतियों से निपटने के लिए पूरे अमेरिका को साथ आने पर जोर दिया.
अमेरिका की घरेलू खुफिया एजेंसी "फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन" की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप के शासनकाल में धर्म, लिंग, रंग, नस्ल आदि से संबंधित अपराधों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई. वर्ष 2018 में इस प्रकार के जहां 7120 तो वर्ष 2019 में इस प्रकार के 7314 अपराध दर्ज किए गए. यह घटनाएं 10 वर्ष पूर्व 2008 में दर्ज 7783 मामलों के बाद सर्वाधिक हैं.
अपने पहले भाषण में ट्रंप जहां अधिकतम समय अपने आलोचकों की आलोचना करते मिले थे, वहीं बाइडन पूरे अमेरिका को संबोधित करते हुए, समस्त अमेरिकियों को अधिकतम एकता बनाए रखने का आग्रह करते हुए दिखाई दिए.
ट्रंप ने "स्ट्रांग अमेरिका", "प्राउड अगेन" और "अमेरिका फर्स्ट" जैसे नारे दिए थे, तो वही जो बाइडन ने "हील अमेरिका" और "अमेरिका टुगेदर" जैसे नारे दिए. साथ ही जो बाइडन विपक्ष को भी साथ लेकर चलने वाले और वोट देने या ना देने वाले समस्त अमेरिकियों के राष्ट्रपति होने की बात कहते मिले.बाइडन ने राजनीतिक असहमति को भी सम्मान देकर किसी युद्ध का कारण न बनने देने की वकालत की. अपनी ओजस्वी भाषण में बाइडन अमेरिकियों को आदर्श लोकतंत्र से परिचित कराते दिखे. इसीलिए डेमोक्रेटिक पार्टी के आलोचक भी इस भाषण को जॉन एफ कैनेडी के बाद का सर्वाधिक शानदार भाषण मान रहे हैं.
ट्रंप अमेरिकी कानून के अनुसार अधिकतम 8 वर्षों तक राष्ट्रपति रहने का रिकॉर्ड कायम नहीं कर पाए और उन्हें दो की बजाय एक ही कार्यकाल मिल पाया. पिछले कई राष्ट्रपतियों (बराक ओबामा, जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन सहित) की भांति उन्हें दो कार्यकालो तक अमेरिकी जनता झेल नहीं पाई. शायद इसी कुंठा के चलते ट्रंप ने बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करते हुए विदाई भाषण देने से भी इनकार कर दिया. किसी राष्ट्रपति के द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा ना लेने की यह घटना अमेरिकी इतिहास में 151 वर्ष के बाद हुई.
पद संभालने के पहले ही दिन बाइडन ने रिकॉर्ड 15 कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. साथ ही उन्होंने पूर्ववर्ती ट्रंप सरकार के कुछ फैसलों को भी बदल दिया. उन्होंने मुख्य रूप से पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते में पुनः शामिल होने, डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को बाहर होने से रोकने, मुस्लिम देशों से यात्रा प्रतिबंध हटाने, आव्रजन प्रणाली को पूरी तरह बदलने और मेक्सिको की सीमा पर बनने वाली दीवार को तत्काल बंद करने जैसे फैसलों पर हस्ताक्षर किए.
बाइडन की टीम में भारतवंशियों ने बड़ी तादाद में जगह पाई. भारतीय मूल की लगभग 20 प्रतिभाएं (जिनमें 13 महिलाएं भी शामिल है )को नई सरकार में जगह मिली. भारतीय मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति बनाया गया जिन्हें अमेरिका की प्रथम महिला उपराष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ. कमला हैरिस के अलावा जो लोग टीम बाइडन में हैं, उनमें नीरा चंदन, डॉ विवेक मूर्ति, उज़रा ज़िया ,माला एडिगा, गरिमा वर्मा, सबरीना सिंह, आयशा शाह, समीरा फ़ाज़ली, भारत राममूर्ति, गौतम राघवन आदि प्रमुख नाम है. भारतीय मूल की इन सभी हस्तियों को अमेरिकी सरकार में प्रमुख पदों पर चुना गया या चुने जाने की संभावना है. यह वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभुत्व के साथ ही भारत के लिए गौरव का क्षण है. ऐसे में देखना यह है कि बाइडन का एच-वन बी वीजा को लेकर क्या नजरिया होगा.
उम्मीद की जानी चाहिए कि जो बाइडन के नेतृत्व में नई सरकार एक बेहतर कल की नीव रखेगी, और अमेरिकी हितों सहित विश्व के लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षण और संवर्धन करेगी.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें