प्रकृति पर्यटन - TOURIST SANDESH

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शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

प्रकृति पर्यटन

प्रकृति पर्यटन

71 फीसदी वनीय भू-भाग से आच्छादित प्रदेश उत्तराखण्ड प्रकृति पर्यटन की दृष्टि से आदर्श राज्य माना जा सकता है परन्तु राज्य स्थापना के 20 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके राज्य में अभी प्रकृति पर्यटन के लिए कोई स्पष्ट ठोस नीति नहीं बन पायी है। असल में सूबे में गठित सरकारों का अब तक इस ओर कोई भी ध्यान नहीं है। दरअसल सूबे की विधायिका तथा कार्यपालिका पर्यटन के जिस माॅडल को राज्य में स्थापित करना चाहती है। वह माॅडल ना तो राज्य की परिस्थितियों के अनुकूल है और ना ही इस राज्य के हित में ही है। पिफर भी राज्य सरकार के कदम उसी ओर बढ़ रहे हैं। प्रकृति पर्यटन से न सिपर्फ राज्य में आय के साधन बढ़ाये जा सकते बल्कि पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जा सकता है। प्रकृति पर्यटन एक ऐसा पर्यटन है जिसके प्रकृति को बिना नुकसान किये प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जाता है। वास्तव में मध्य हिमालय की गोद में बसे इस राज्य में प्रकृति पर्यटन की असीम संभावनायें हैं। बस इन्हें विकसित कर प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। प्रकृति पर्यटन के लिए आदर्श स्थिति वाले इस राज्य में हिमालय के उफंचे शिखर, घने चीड़ देवदार बांज बुरांस, साल सागौन आदि वृक्षों के वन तथा औषध्ीय पौध्े-लताएं, झीलें, पहाड़ों पर बने पवित्रा मंदिर, शिवालिक पर्वत श्रंृखला पर बसी दून घाटी, पफूलों की घाटी प्रकृति की सुंदर, गोद में बसे चार धाम आदि अनेक तीर्थ एंव प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण पर्यटक स्थल प्रकृति पर्यटन के लिए आदर्श स्थिति स्थापित करते है। राज्य सरकार को केवल इस ओर दिशा देने की आवश्यकता है परन्तु अभी तक राज्य सरकार इस ओर दिशा देने में असपफल साबित हुई है। यहां कंकर-कंकर में शंकर का वास माना जाता है जो कि, यहां की धरा को आध्यात्मिक वातावरण तैयार करने में सहायक है। प्रकृति ने इस राज्य को असीम प्राकृतिक नेमतें दी है। यह प्रदेश अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, घने जंगलों, ग्लेशियरों तथा जैव विविधता के लिए आदि काल से ही जाना जाता है। देवभूमि के नाम से प्रसि( भारत भूमि का यह भाग सनातन धर्म की आस्था के प्रतीक अनेक पवित्रा तीर्थ स्थल चार धाम सहित अनेक सुंदर झीलंे, पफूलों की घाटी, 12 राष्ट्रीय पार्क, ग्लेशियरों तथा खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों की उपस्थिति इस क्षेत्रा को प्रकृति पर्यटन के लिए आदर्शता प्रदान करती हैं। बस इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
वर्तमान समय में प्रकृति पर्यटन विश्व मानव की आवश्यकता है। ईंट-गारे के जंगलों में कैद होता मानव इस समय प्रकृति से दूर होता जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का निर्ममता पूर्वक दोहन करता आज का मानव अत्याधिक सुविधा भोगी होता जा रहा है। जिसके कारण मानव का सह-अस्तित्व का गुण स्वार्थ सि(ि में परिवर्तित होता जा रहा है। मानव जितना अधिक कृत्रिम दुनिया की ओर बढ़ रहा है उतना ही कमजोर और मानवीय गुणों से विहीन होता जा रहा है। अंततः इस समय प्रकृति पर्यटन विश्व मानव की आवश्यकता बनता जा रहा है। प्राकृतिक रूप से समृ( उत्तराखण्ड राज्य प्रकृति पर्यटन के लिए आदर्श साबित हो सकता है परन्तु राज्य सरकार को इसके लिए माहौल तैयार करना होगा।

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