फुर पत्यैं, मेरि कुडंळी कत्यैं
बल भैजी, हरियाणा में सरकार गठन में एक विधायक की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि उसको लाने के लिए विशेष विमान की आवश्यकता पडी़। इस विधायक की कारगुजारियों से पूरा देश परिचित हैं। वक्त की नजाकत तथा पव्वे की महत्ता को समझते हुए भाजपा के मित्रों ने इसे नाक का सवाल माना तथा विधायक को बुलाने के लिए विशेष विमान भेज दिया। यह सब पव्वे का ही कमाल है। उधर महाराष्ट्र में पव्वे की लडा़ई अब नाक की लड़ाई बन चुकी है। तो इधर उत्तराखण्ड में भी कुछ कम कमाल नहीं हुआ यहां पंचायतों में जीते हुए पंचायत जनप्रतिनिधि ही गायब हो गये। पुलिस खोजबीन करती रही तथा पंचायत प्रतिनिधि धारचूला के एक होटल में मौज मारते रहे। वैसे इस राज्य के लिए यह कोई नई बात नहीं है। यदि आपको याद होगा तो 2016 में राज्य के 9 विधायक ऐसा कारनामा पहले कर चुके हैं। तब विधायक गुरूग्राम से जयपुर आदि की सैर कर आये थे। तमाम जोर लगाने के बाद भी तत्कालीन सरकार तो बच गयी परन्तु चुनावी हार से स्वयं को न बचा सकी। राजनीति और औरत चाहे निपट बांझ ही क्यों न हो उम्मीद का दामन सदा थामे रहती है। सरकार रगरृयाट कर रही है। विकास का रगरृयाट, अच्छे दिन लाने के लिए रगरृयाट और न जाने क्या-क्या.........अच्छे दिनों के आस में सूखे गधेरे कणाट कर रहे हैं। देखो सरकार ने गधेरों की कणाट को कम करने के लिए योजना बनाई है। अब क्या होता है आगे शायद गधेरों के अच्छे दिन आ जांए। वैसे तो सरकार हर बार फुर पत्यैं, मेरि कुडयीं कत्यैं हो जाती है। पता ही नहीं चलता कब आयी और कब चली गयी। फटाक से फुर्र हो जाती है। विकास तो नजर आता नहीं।
अच्छे दिन आने ही वाले थे कि पहले बिल्ली रास्ता काट गयी और फिर ऐनवक्त पर छींक दिया। अब कोई खतरा नहीं है, सारा इन्तजाम हो चुका है। अब आप सुखद अनुभूति कर सकते हैं ठीक वैसे ही जैसे एक शराबी अपनी स्त्री के मायके जाने पर सुखी होने का आभास करता है। सरकार भी रिलेक्स मूड में है। दीपावली की रौनक भी अब विदाई लेने को है। उधार का घी पीकर जनता- जनार्धन छक चुकी है। मेरे प्यारे भरतवंशियों चिन्ता मत करो बिल्कुल निःशंक रहो। एक पहाड़ी लतड़ाक और चलो अच्छ दिन आपका इन्तजार कर रहे हैं। सौंण-भादौं की बरसात अब थम चुकी है। चिन्ता की कोई बात नहीं, बरसात के पानी में अब किसी गरीब की झोपड़ी डूबने वाली नहीं है। अब बीती ताई बिसार दे आगे की सुध ले। विकास रूपी कर्फ्यू अब आमजन पर लगने ही वाला है। सरकार के पिछले कार्यकाल में जो कमी रह गयी थी वह इस कार्यकाल पूर्ण होगी। आप बिल्कुल चिन्ता न करें। यदि विकास रूपी कर्फ्यू में कोई कमी रह गई तो विकास रूपी ग्रहण तो लग ही सकता है। जब आमजन के भाग्य की छतरी में छेद ही छेद हैं तो सरकार भी क्या करे बेचारी। सरकार तो कोशिश ही कर सकती है कोई भाग्य की छतरी के छेद थोड़ी बन्द कर सकती है। सरकार ने पूरी ताकत लगा रखी है परन्तु विपक्ष सब बैर पड़े हैं बरबस मुख लपटयो। उन्हें तो विकास नजर नहीं आता उन्हें तो खोट ही खोट नजर आते हैं। देखो भैजी! आप मानो या न मानो विकास के घोड़े सरपट दौड़ रहे हैं। परन्तु नंगा क्या नहायेगा, क्या निचोड़ेगा उनके लिए तो विकास बेगाने सनम भये, चोटी वाले की तरह ही है। कोई भी क्या करे जो विकास से अछूता रह जाये। देश में अब बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी बीते जमाने की बात है। चरित्रता, नैतिकता तथा आदर्शता अब पिछड़ेपन की निशानी है, आपका ध्यान किधर है, बस पव्वा दर्शन कीजिए और जीवन में स्वस्थ्य रहें मस्त रहें। बस, किसी को शिकायत मौका न दें, फिर मत कहना कि बताया नहीं था।
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