जिंदगी माँगती रहती है सांसो का हिसाब
कवि कुंभ और बिंग वूमन की तरफ से मुशायरा का आयोजन

कवि कवयित्री और स्थानीय साहित्यकारों ने शिरकत की महफ़िल के मुख्य अतिथि हिमालय ड्रग्स के चेयरमैन डॉ .एस. फारूख रहे कार्यक्रम के दोनों सत्र में सदारत फ़रमा इंदू कुमार पांडेय ने की ,गेस्ट ऑफ़ ऑनर दिल्ली से आई राशिदा बाक़ी हया शायदा रही ,विशिष्ट अतिथियो में उत्तराखंड हिंदी सहित्य समिति के अध्यक्ष डॉ राम विनय सिंह , एम डी डी ए चीफ अभियंता संजीव जैन "साज" , ब्रिगेडियर के.जी. बहल रहे .
आमंत्रित शायर/ शायरात में प्रशिद्ध शायरा राशिदा बाक़ी हया अलीना इतरत ,गजाला ख़ान , विवेक बादल "बाज़पुरी" ,पुष्पेंद्र पुष्प कानपुर
देहरादून की मुकामी शायरा जस किरण चोपड़ा , मीरा नवेली , रंजीता सिंह "फ़लक़" रहीं
दोनो सत्रों का संचालन ,रंजीता सिंह फ़लक ने किया स्थानीय आमंत्रित साहित्यकारों में नदीम बर्नी, रईस फ़िगार , राकेश जैन ,शोहर जलालाबादी,परवेज गाजी ,शादाब अली ,दर्द गढवाली ,कविता बिष्ट ,निकी ,और अन्य लोगों ने किया .

रंजीता सिंह फ़लक
मौला मुझे इत्र सा महकने का हुनर दे
जिस सिम्त भी जाऊं खुश्बू सी बिखर जाऊं
गज़ाला खान
जिंदगी माँगती रहती है सांसो का हिसाब
कोई आराम नही मौत के आराम के बाद
राशिदा बाक़ी हया
जब टूटा तमन्नाओ का शीशा मेरे आगे ll
मेरा ही सरापा था जो बिखरा मेरे आगे ll
पुष्पेंद्र पुष्प
ख़ूब रोका ठगा खिजाँ ने क्या करें
हम बहारो के कहे में आ गए ll
अलीना इतरत
अभी तो चाक पे मिट्टी का रक़्स जारी है ll
अभी कुम्हार ही नीयत बदल भी सकती है ll
विवेक बादल बाज़पुरी
बेटियों से गुरेज़ है जिनको
उनके आँगन ख़ुशी को तरसेंगे
जसकिरन चौपडा
कुछ लोग अब यहां के सुल्तान हो गये ll
उन्ही के हवाले ये शहर मेरा हो गया ll
ममता वेद
दर्द ए दिल तब भी था लेकिन तुम कभी न रोये
आज अश्को का समंदर क्यो बहाया तुमने ll
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