शिक्षणअधिगम प्रक्रिया में टी एल एम की भूमिका - TOURIST SANDESH

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

शिक्षणअधिगम प्रक्रिया में टी एल एम की भूमिका

शिक्षणअधिगम प्रक्रिया में टी एल एम की भूमिका

   हम सभी लोग बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारी विद्यालयी शिक्षा में शिक्षण अधिगम सामग्री (टी एल एम ) बहुत ही प्रचलित,लोकप्रिय और स्पंदन पैदा करने वाला शब्द है।इसकी अधिकतर चर्चा विभिन्न प्रकार के सेमिनारों तथा शिक्षक प्रशिक्षणों के दौरान की जाती है।शिक्षकों से हर समय यह उम्मीद की जाती है कि,वे ज्यादा से ज्यादा सृजनशील और रचनात्मक होते हुए बेहतरीन टी एल एम का निर्माण करें और उनको अपने विद्यालय के बच्चों के साथ तथा सहकर्मी साथियों के साथ साझा करने का प्रयास करें।अक्सर होता भी यह है कि सपनों की उड़ान, टी एल एम प्रदर्शनी अथवा विज्ञान प्रदर्शनी जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों /आयोजनों के दौरान अध्यापकों द्वारा काफी संख्या में बनाये गए बेहतरीन,खूब चमकीले, आकर्षक, सजावटी  टी एल एम विभिन्न स्टॉल/स्टॉलों में देखने को मिलते हैं।वास्तव में यदि देखा जाय तो अध्यापकों के पास अपनी काबलियत और सृजनात्मकता को दिखाने का एक सुनहरा अवसर भी इस तरह के आयोजनों के मौके पर होता है, जिससे उनके कार्य, मेहनत,लगन को एक पहचान  मिल सके।यह बिल्कुल दीगर बात है कि, टी एल एम सीखने की प्रक्रिया को सुगम और प्रभावकारी बनाने का एक माध्यम है अपने आप में एक अंत नहीं है।आजकल शिक्षण की नवीन विधाओं / तकनीकों से संबंधित व  रचनात्मक टी एल एम जो बहुउद्देस्यीय हों के निर्माण को लेकर  सभी शिक्षक साथी विशेष ध्यान देते हैं।साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि,इनसे हमारे नन्हें-,मुन्ने बच्चों के सीखने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए किन-किन उद्देश्यों की पूर्ति संभव हो पाएगी।यही वे सभी मूल बातें हैं जिनका ध्यान टी एल एम बनाते समय अवश्य रखे जाने की जरूरत हर अध्यापक द्वारा महसूस की जाती है।तभी हम टी एल एम की उपादेयता,वांछनीयता और प्रासंगिकता को सही मायने में बरकरार रख सकते हैं।अच्छे टी एल एम जिनमें शिक्षक की रचनात्मकता और परिश्रम की झलक दिखती हो उन्हें चिन्हित कर और आगे बढ़ाया जाना चाहिए ताकि हमारे नौनिहालों के भविष्य को सुधारने-संवारने के लिये उनके गुरुजनों द्वारा और बेहतरीन कार्य किया जा सके।जब अध्यापकों का हौंसला/ आत्मविश्वास बढ़ाये जाने के प्रयास किये जाएंगे,उनके द्वारा किये गए हर अच्छे कार्य को एक पहचान प्रदान की जाएगी तभी  देश के नौनिहालों के लिए वे बेहतर से बेहतर प्रयास हर क्षेत्र में कर सकते है।                सहायक सामग्री के कक्षा-कक्ष में इस्तेमाल के फायदे और महत्व कुछ इस प्रकार से हैं- (1)शिक्षण सामग्री विषय को स्थायी रूप से सीखने व समझने में सहायक होती है।    (2) अध्यापन रुचिकर होने से छात्र अधिक सक्रिय रहते हैं और पाठ को अधिक सरलता से ग्रहण करते हैं।  (3) दृश्य सामग्री पाठ को रोचकता प्रदान कर बोधगम्य बनाती है बच्चों की उत्सुकता निरंतर बनी रहती है।(4) विद्यार्थी गतिविधियों में सक्रिय बने रहते हैं।अनुसंधान एवं परियोजना में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।छात्रों को,वस्तुओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने,छूने और महसूस करने का अवसर मिलता है। (5) वे प्राकृतिक और कृत्रिम वस्तुओं के तुलनात्मक भेद को समझ पाते हैं। (6) यह विचारों को प्रवाहात्मकता प्रदान करती है।   

कक्षा-कक्ष प्रक्रिया संचालन हेतु अध्यापक द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली सहायक सामग्री का उद्देश्य--


 (1)विद्यार्थियों में पाठ के प्रति रुचि पैदा करना (2) तथ्यात्मक सूचनाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना(3)विद्यार्थियों को अधिक क्रियाशील बनाना(4) जटिल विषयों को अत्यधिक सरल बनाना(5) अमूर्त को मूर्त स्वरूप देना(6) बच्चों का ध्यान पठन-पाठन की ओर लगाने का प्रयास करना।                    अतः यहां पर यह कहना समीचीन होगा कि-शिक्षण अधिगम सामग्री ऐसी सामग्री है जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावकारी बनाया जा सकता है।               प्रस्तुति-- राजीव थपलियाल   सहायक अध्यापक (गणित)  राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय सुखरौ (देवी) कोटद्वार ,पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

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