विजय दशमी : उद्यम का पर्व - TOURIST SANDESH

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

विजय दशमी : उद्यम का पर्व

विजय दशमी : उद्यम का पर्व

         हमारी भारत वसुंधरा बहुत से त्योहारों और पर्वो को मनाने वाले लोगों से सुसज्जित है। इनमें से एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है दशहरा याने कि, विजयदशमी इस दिन लोग शस्त्र-पूजा भी करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। पुरानी मान्यतायें हैं कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजयश्री का वरण होता है। पुराने समय में राजा -महाराजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है।यह तो हम जानते ही हैं कि, हमारी भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। हिंदुस्तान के हर व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता का भाव प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है,और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने की सीख भी देता है।इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में भी देखा जाता है। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है।जब किसान  अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के अनुसार यह रणयात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा लगभग समाप्त हो जाती है नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि सहेज कर रखे जाने वाले हो जाते हैं।इस उत्सव का सम्बन्ध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है। दशहरा या विजयदशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन रावण का वध किया।शहरों तथा गांवों में रहने वाले कई लोग विजयदशमी के मौके पर दशहरा मेला देखने जाते हैं,बच्चे भी उनके साथ में होते हैं बच्चे त्योहारों से संबंधित के प्रकार की नई-नई जानकारियों से अवगत होते रहते हैं।खिलौने तथा खाने-पीने की चीजों का भरपूर आनंद लेते हैं।अतः हम सभी को चाहिए कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को अपने पर्वों, त्योहारों तथा सांस्कृतिक विरासत के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने का प्रयास करें,ताकि हमारी भावी पीढ़ी अच्छी समझ बनाते हुए आगे बढ़े,अपने अंदर अच्छे गुणों का विकास कर सके,तथा राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय सहभागिता का भली-भांति निर्वहन कर सके।
                                                      राजीव थपलियाल
सहायक अध्यापक गणित,  राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय सुखरौ देवी कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल

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