अध्यात्म क्षेत्र की स्थापना की अच्छी पहल
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुझाव के अनुरूप प्रदेश सरकार ने अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर धाम में जो आध्यात्मिक इको जोन बनाये जाने का प्रस्ताव रखा है, यह एक अच्छी पहल मानी जा सकती है। बशर्त प्रस्ताव केवल फाइलों तक न सिमट कर रह जाय तथा उसका का सही प्रकार से क्रियान्वयन किया जाय और प्रस्ताव उत्तराखण्ड की मूल भावना के अनुरूप हो। वैसे तो आमतौर पर ऐसा सम्भव नहीं होता कि सरकार की योजनाओं में झोल न हो फिर भी आशा की जानी चाहिए कि सरकार की प्रस्तावित यह योजना एक अच्छे उद्देश्य के लिए होगी तथा अध्यात्म क्षेत्र की स्थापना के लिए सरकार पूर्ण निष्ठाभाव से कार्य करेगी।उत्तराखण्ड की मूल पहचान अध्यात्म से ही रही है तथा उत्तराखण्ड सदियों से विश्व मानव के लिए अध्यात्म का केन्द्र रहा है। अध्यात्मिक ज्ञान के केन्द्र उत्तराखण्ड में वैदिक काल से ही विश्व का मानव योग, ध्यान, औषधी से रोगनिवारण, स्वास्थ्य संर्वद्धन एंव मनःशान्ति के लिए आता रहा है। अपनी ज्ञानपिपासा को शांत करने के लिए विश्व के मानव के लिए उत्तराखण्ड हमेशा ज्ञान प्राप्ति हेतु साधना स्थली रही है। पौराणिक काल से ही इस क्षेत्र में विश्व का मानव मोक्ष प्राप्ति हेतु आता रहा है, अपनी इन्हीं विषेताओं के कारण उत्तराखण्ड मोक्ष धामों के लिए भी जाना जाता रहा है। छोटे- बड़े 125 मन्दिरों का समूह जागेश्वर धाम 12 ज्योर्तिलिगों में से एक माना जाता है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विश्व प्रसिद्ध यह धाम आध्यात्मिक इको जोन के लिए आर्दश माना जा सकता है। यह धाम कत्यूरी राजाओं की साधना स्थली रही है तथा कत्यूरी राजाओं ने ही यहां पर जागेश्वर मन्दिर समूह का निर्माण करवाया था। पहाड़ियों के बीच स्थित जागेश्वर धाम एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है। जिसकी प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। सामान्य रूप से जब किसी क्षेत्र विशेष को सरकार स्पेशल ईको जोन विकसित करने की घोषणा करती है तो उस स्थान में विशेष गतिविधियों के संचालन हेतु कानूनी रियायत आदि की घोषणा करती है। आध्यात्मिक इको जोन को विकसित किये जाने के लिए विशेष सुविधाओं के विकास पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता होती है। आध्यात्मिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए वातावरण बनाने की आवश्यकता होती है। आशा की जानी चाहिए कि, जागेश्वर धाम में आध्यात्मिक वातावरण तैयार करने के लिए सरकार पूर्ण निष्ठा से कार्य करेगी तथा विशेष सुविधाओं को उपलब्ध करायेगी।
यदि सरकार की योजना धरातल पर उतरी तो योजना के अनुसार इस आध्यात्मिक धार्मिक नगरी में 10 किलोमीटर के दायरे में यह विशेष क्षेत्र विकसित किया जाना प्रस्तावित है। आध्यात्मिक विकास के लिए प्रदेश सरकार अपनी ओर से इस क्षेत्र में रियायतों की घोषणा करेगी। देहरादून में इन्वेस्टर समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश नेतृत्व को आध्यात्मिक क्षेत्र विकसित किये जाने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उत्तराखण्ड में इस तरह के केन्द्र विकसित किये जाने चाहिए जो कि सम्पूर्ण विश्व को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान कर सकें और आध्यात्मिकता के केन्द्र बन सकें। प्रदेश सरकार ने अब इस दिशा में कार्य करने की पहल की है। उद्योग विभाग द्वारा जागेश्वर धाम के 10 किलोमीटर के दायरे में आध्यात्मिक क्षेत्र विकसित किये जाने हेतु खाका तैयार किया जा रहा है। यहां पर आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ -साथ योग, ध्यान, पंचकर्म, वेलनेस को बढ़ावा दिया जाना प्रस्तावित है। यदि उद्योग विभाग का यह प्रस्ताव वास्तविकता के धरातल पर उतरा तो इससे उत्तराखण्ड में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा प्रदेश को उसकी मूल पहचान भी मिलेगी। निश्चित रूप से प्रदेश सरकार की यह एक अच्छी स्वागतयोग्य पहल है।
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