समलौंण आन्दोलन यानी पर्यावरण संरक्षण - TOURIST SANDESH

Breaking

सोमवार, 9 सितंबर 2019

समलौंण आन्दोलन यानी पर्यावरण संरक्षण

समलौंण आन्दोलन पर्यावरण संरक्षण का उपाय

                                                                                   

वीरेंद्रदत्त गोदियाल समलौंण

                                                          

जैसा कि हम सब जान रहे हैं, कि जनसंख्या का तेजी से बढ़ना और मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खेती मकान सड़क जल विधुत परियोजनाओं व सरकारी गैर सरकारी कार्यों हेतु लगातार जगलों का कटान करता आ रहा है जिससे अनेक जीव जंतुओं व पेड़ पौधों की मृत्यु हो जाती है ! परिणाम स्वरूप आज ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आ गई है! और कार्बन डाइऑक्साइड गैस में वृद्धि हो रही है! जिससे पृथ्वी के तापमान में भारी वृद्धि हो गयी है जिसका प्रत्यक्ष प्रणाम ग्लोबल वार्मिंग (उष्मीय वैश्वीकरण ) व जलवायु परिवर्तन समय पर वर्षा का न होना बाढ़ आंधी तूफान भूकंप समय से पहले बुरांश के फूल का आना काफल के फलों का लगना हिमालय की बर्फ का तेजी से पिघलना पानी के स्रोतों का सूखना आदि अनेक परिवर्तन हो रहे हैं इन सबसे बचने के लिए हमे अधिकाधिक वृक्षारोपण करना होगा !
क्र  समलौंण आंदोलन का एक परिचयरू समलौंण का अर्थ याद से है! ग्रामस्तर पर प्रत्येक संस्कारों जैसे नामकरण जन्मदिवस चूड़ाकर्म शादी व वार्षिक पिंडदान के अवसरों पर जिस पौधे को रोपते हैं यादस्वी पौधा समलौंण पौधा कहलाता है! जिसे ‘समलौंण आंदोलन’ नाम दिया गया है! इस आंदोलन की शुरूआत सन 2000 से जनता जूनियर हाईस्कूल पाटुली से की गयी !
क्र  गांव में समलौंण वृक्ष का कार्य रू जिस प्रकार से देश की रक्षा के लिए जल थल वायु तीन सेनाएं कार्य करती हैं! ठीक उसी प्रकार गांव के पर्यावरण को बचाने के लिए महिलाध्पुरूष भी समस्त ग्रामवासी आपस में मिलकर समलौंण सेना का गठन किया जाता है उसका समलौंण नामकध्नामिका के नाम से जाना जाता है ! गांव के प्रत्येक परिवार में हर संस्कारों जैसे नामकरण जन्मदिवस चूड़ाकर्म शादी व वार्षिक पिंडदान स्मृति में समलौंण सेना को पुरुस्कार राशि प्रदान करते हैं ! जो राशि गांव की पंचायती राशि होती है , एक दिन वह एक बड़ी राशि बन जाती है , जिसे समलौंण पूंजी के नाम से जाना जाता है उक्त पूंजी से वृक्ष ,पंचायती समान स्वरोजगार के साधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, ब्याज के रूप में ऋण भी लिया जाता है! उस राशि को बैंक में सेनानामिक कोषाध्यक्ष समलौंण सेना के नाम से खाता खोला जाता है !
इस प्रकार जहां एक तरफ बच्चे से लेकर बूढे तक हर परिवार का सदस्य वृक्ष लगा रहे हैं! जिससे पर्यावरण मजबूत होने के साथ साथ गांव की आर्थिक दशा भी मजबूत हो रही है साथ ही उन वृक्षों पर अपनत्वपन होने से कटने से बच रहे हैं, और अन्य पेड़ों की भी सुरक्षा हो रही है!  तभी हम ग्लोबल वार्मिंग , जलवायु परिवर्तन आदि अनेक समस्याओं से निजात पा सकते हैं और अपने भविष्य के संकट को दूर करने में कामयाब हो सकते हैं

                                                                                      “ हर संस्कार तैं समलौंण बणावा “       

                                                                                         एक डाली जरूर लगावा

                                                                                       “ जय भारत , जय उत्तराखंड , जय पर्यावरण “

 

                                                                                                               

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें