मिश्रित वनों के संरक्षण एंव सवर्द्धन को बनाया जीवन का लक्ष्य
रुद्रप्रयाग। मानवता से परिपूर्ण जगत सिंह ‘जंगली’ उन धरती पुत्रों में से एक है जिन्होंने धरती मां की सेवा को ही अपना लक्ष्य मान लिया है। उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले के कोटमल्ला गांव में जन्में जगत सिंह ‘जंगली’ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 1980 में सीमा सुरक्षा बल से अवकाश लेने के पश्चात् आपने अपने गांव में दो हेक्टेयर से अधिक उबड़-खाबड़ तथा कंकरीली पथरीली भूमि पर विभिन्न प्रजाति के एक लाख से अधिक पौधों का मिश्रित वन तैयार कर ना सिर्फ जैव विविधता का मॉडल तैयार किया है बल्कि पारिस्थतिकीय तंत्र के संतुलन में उत्तम भूमिका निभायी है।आपने स्वयं के प्रयासों से सम्पूर्ण विश्व मानव के सम्मुख मिश्रित वन मॉडल की एक नई अवधारणा को प्रस्तुत किया है। जैव विविधता को बढ़ाने तथा जल एवं पर्यावरण संरक्षण प्रति जागरूक करने के लिए आप विभिन्न संस्थाओं में व्याख्यान देते हैं। भारत के उच्च शिक्षण संस्थान हों या ग्रामीण प्राथमिक पाठशाला आप पर्यावरण संरक्षण के प्रति निरन्तर जन- जागरूक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। आपका नारा है - ‘मिश्रित वन उगाओ पर्यावरण बचाओ’ वर्ष 1997 में आपने हरियाली देवी रूद्रप्रयाग से दिल्ली तक पदयात्रा कर हिमालयी क्षेत्र को पर्यावरण संरक्षण के एवज में ग्रीन रॉयल्टी देने की मांग की थी।
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