कोटद्वार नगर निगम चुनाव
परिवारवाद होगा मुख्य मुद्दा.....?
परिवारवाद होगा मुख्य मुद्दा.....?
नव सृजित कोटद्वार नगर निगम का प्रथम मेयर कौन होगा? यह भविष्य के गर्भ में है,परन्तु इस बार मतदाताओं से छनकर जो खबरें आ रही हैं। वह दोनों राष्टी्रय दलों के लिए शुभ संकेत नहीं है। क्या परिवारवाद चुनाव का मुख्य मुद्दा हो सकता है, यह सवाल इसलिए क्योंकि नवसृजित कोटद्वार नगर निगम के चुनाव में यह मुख्य मुद्दा बनता दिख रहा है। परिवारवाद से उकताए मतदाता इस समय दोनों राष्टी्रय दलों को सबक सिखाने के मूड में हैं। परिवारवाद पर गर्माई जिला पौड़ी गढ़वाल का एकमात्र नगर निगम कोटद्वार में यह मुख्य मुद्दा बनने जा रहा है। दरअसल भाजपा ने लैंसडौन विधायक दलीप रावत की पत्नी श्रीमती नीतू रावत को तथा कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी की पत्नी श्रीमती हेमलता नेगी को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है। इसे कोटद्वार का मतदाता परिवारवाद की उपज मान रहा है। इस कारण भाजपा में खुली बगावत हो चुकी है। भाजपा से बगावत कर श्रीमती विभा चौहान, श्रीमती ऊषा सजवाण (यूकेडी उम्मीदवार), श्रीमती शशी नैनवाल, श्रीमती सुधा सती ने मेयर पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत कर जहां एक ओर भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है वहीं दूसरी और श्रीमती हेमलता नेगी को कांग्रेस से टिकट मिलने पर भले ही खुली बगावत थमती दिख रही हो परंतु आंतरिक असंतोष का दबाव बढ़ रहा है। जिसके कारण कांग्रेस में भी उपापोह की स्थिति है। सियासत के भ्रम व गहरी चालों में उलझती कोटद्वार की राजनीति इस समय एक नई करवट लेने जा रही है। कोटद्वार का मतदाता हर बार अप्रत्याशित परिणाम देने के लिए जाना जाता रहा है। मूलरूप से कोटद्वार का मतदाता दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को बारी-बारी से मत देता आ रहा है। 2002 में सुरेन्द्र सिंह नेगी यहां से विधानसभा पहुंचे थे तो 2007 में सुरेन्द्र सिंह नेगी के मुकाबले भाजपा के नव नवेले नेता शैलेन्द्र रावत को वरियता देकर कोटद्वार के मतदाता ने विधानसभा भेजा। 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल रि0 भुवन चंन्द्र खण्डूरी के बजाय यहां के मतदाता ने सुरेन्द्र सिंह नेगी को वरियता देकर अपना जन प्रतिनिधि चुना। इसी प्रकार 2017 में भी चुनाव परिणामों का सिलसिला जारी रहा। इस बार कोटद्वार से कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह नेगी जनता की गुगली में फंस गये तथा जनता ने डॉ0 हरक सिंह रावत को विधानसभा भेजकर एक बार पुनः अप्रत्याशित परिणाम दिया। अब जबकी नवसृजित कोटद्वार नगर निगम में प्रथम बार बोर्ड का गठन होने जा रहा है तो इस समय कोटद्वार के मतदाता का मूड बदला हुआ सा नजर आ रहा है। परिवारवाद से उकताया कोटद्वार का मतदाता इस समय एक बार पुनः अप्रत्याशित परिणाम देने के लिए तैयार है। मतदाता के मूड से लगता है कि कोटद्वार नगर निगम का प्रथम बोर्ड निर्दलीय पार्षद तथा मेयर से सजने वाला है। जनता को लगता है कि दोनां राष्ट्रीय दल परिवारवाद से ग्रसित हो चुके हैं। इसलिए वह निर्दलीय प्रत्याशियों पर दांव लगाना चाहता है वास्तव में कोटद्वार का मतदाता प्रयोगवादी रहा है। कोटद्वार के मतदाता द्वारा किये जा रहे यह प्रयोग लोकतंत्र की जडं़े मजबूत करता है।
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