- TOURIST SANDESH

Breaking

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

उत्तराखण्ड में बच्चों में कुपोषण की समस्या
नीति आयोग की पिछली रिपोर्ट में यह बात सामने आयी थी कि राज्य के 13 जिलों में  हरिद्वार, उधमसिंह नगर, उत्तराकाशी, चमोली में कुपोषण से ग्रस्त बच्चों की संख्या अधिक है। निश्चित रूप से पांच वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की पुष्टि होना बड़े सवाल भी खड़े करता है। राज्य में कुपोषण की समस्या से निबटने के लिए राज्य में हर वर्ष लगभग 214 करोड़ की भारी-भरकम राशि खर्च की जा रही है। फिर भी राज्य में कुपोषण बच्चों की संख्या 20 हजार से अधिक है। ध्यान रहे कि यह आंकड़ा केवल उन बच्चों का है जो आगनबाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत हैं। यदि अपंजीकृत मलिन बस्तियों के बच्चों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। साफ है कि कहीं ना कहीं व्यवस्थाओं में झोल है। सिस्टम में आ रही इसी कमी के कारण हमारे नौनिहाल ह्ष्ट-पुष्ट नहीं हो पा रहें हैं। हमारे बच्चे देश का भविष्य तथा राष्ट्र की निधि है यदि बच्चे मानसिक तथा शारीरिक रूप से विकसित नहीं होंगे तो राष्ट्र कैसे सुदृढ़ हो सकता है? राज्य में सरकार के आंकड़ो के अनुसार प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी हो रही है तथा प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 73 हजार को पार कर चुकी है फिर भी बचपन कुपोषण की समस्या से क्यों ग्रसित है? यह बात समझ से परे है।यह भी विडम्बना ही है, कुपोषण की समस्या को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार के भारी-भरकम ताम-झाम भी नाकाम साबित हो रहे हैं। सरकार द्वारा व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरस्त करने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि हमारा बचपन मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ्य हो सके तभी एक सुदृढ़ राष्ट्र की नींव खड़ी हो सकती है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें