प्रेमचंद अग्रवाल की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग
कोटद्वार | उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल की विधानसभा सदस्यता समाप्त किये जाने मांग की है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने प्रेमचंद अग्रवाल पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने अपने कार्यकाल में गलत तरीके से नौकरी लगवाई जिसमें साफ अंदेशा है कि अपनो को नौकरी लगाने के साथ- साथ पैसे लेकर नौकरी लगवाई गई और सचिव को गलत तरीके से प्रमोशन देकर अपने पद का दुरुपयोग किया है |
जिसका बचाव वो अपना विशेषाधिकार कहकर कर रहे हैं, जबकि उनको ऐसा कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है । साथ ही उन्होंने कहा कि, सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल हुई है कि, प्रेमचंद्र अग्रवाल ने अपने बेटे के नाम पर शासन की भूमि नगर पालिका में दर्ज करवा दी है।
प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन तहसीलदार और तत्कालीन उप जिला अधिकारी ऋषिकेश से गलत आख्यायें प्राप्त की जिसमें तहसीलदार और उप जिलाधिकारी ऋषिकेश ने खाता संख्या 1 के खसरा संख्या 279/ 1 जो कि खाता खतौनी में राज्य सरकार के नाम पर दर्ज है और कॉलम 6 में उक्त भूमि पर स्थगन आदेश होने के साथ-साथ भूमि को पूर्ववत्त ही रखे जाने का आदेश दर्ज है, पर अनापत्ति दिलवा दी।
नगर निगम ऋषिकेश के भवन कर लिपिक के द्वारा भी सहायक नगर आयुक्त को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि पीयूष अग्रवाल पुत्र प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा स्वामित्व परिवर्तन हेतु आवेदन किया गया है। सं सं 135 हरिद्वार रोड पालिका अभिलेखों में रमेश चंद्र घिड़ियाल के नाम पर दर्ज है। लेकिन उक्त संपत्ति श्रीमती शीतल कोहली द्वारा पीयूष अग्रवाल को क्रय की गई है। श्रीमती शीतल कोहली का नाम पालिका अभिलेखों में दर्ज नहीं है। भवन कर लिपिक द्वारा यह भी उल्लेखित किया गया है कि उक्त संपत्ति प्रतिबंधित खसरा नंबर 279 / 1 में आती है , मगर उप जिलाधिकारी ऋषिकेश के द्वारा उक्त संपत्ति को वाद रहित एवं गैर विवादित संपत्ति बताते हुए उक्त नामांतरण को अनापत्ति प्रदान की गई है। भवन कर लिपिक द्वारा फर्जीवाड़े की स्पष्ट आख्या देने के बावजूद सहायक नगर आयुक्त और नगर आयुक्त द्वारा सरकारी संपत्ति को पालिका अभिलेखों में पीयूष अग्रवाल के नाम दर्ज करा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि, इस मामले में निगम आयुक्त के साथ साथ ऋषिकेश नगर निगम की मेयर अनिता ममगाईं की भूमिका भी संदिग्ध है। आमने सामने तो ऐसा दिखाते हैं कि एक दूसरे को देख नहीं सकते । मगर इस अवैध कार्य के बारे में तीन सालों से मेयर ने चुप्पी साधी हुई है, जबकि उनके द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ धारा 420, 120 बी, 467, व 468 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया जाना चाहिए था।
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