शिक्षा में मीडिया की भूमिका
सुभाष चन्द्र नौटियाल
मीडिया सूचनाओं के एकत्रिकरण करने का वह माध्यम है जिसके द्वारा समाज में घटित होने वाली घटनों का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है। मीडिया माध्यम बनती है जबकि पत्रकारिता इस माध्यम में प्रतिबिम्ब को उकेरने का कार्य करती है। वास्तव में बिना माध्यम के न तो पत्रकारिता सम्भव है और ना ही बिना पत्रकारिता के मीडिया की कल्पना की जा सकती है। मीडिया शरीर तथा पत्रकारिता को आत्मा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। मीडियारूपी शरीर में पत्रकारितारूपी प्राण बसते हैं। पत्रकारिता मानव समाज की मनोवृत्तियों, अनुभूतियों तथा आत्मा से साक्षात्कार करती हुई मानव मात्र को जीने की कला सिखाती है। मानव समाज के आचार, विचार और व्यवहार से समाज में घटित होने वाली घटनाओं को पत्रकारिता के माध्यम से ही मीडिया के द्वारा प्रतिबिम्बित किया जाता है। विभिन्न माध्यमों से सूचनाओं का एकत्रिकरण कर सूचनाओं का उचित माध्यम के द्वारा सही और सटीक विश्लेषण के साथ प्रचार-प्रसार करना वास्तव में पत्रकारिता कहलाता है। परम्परागत अर्थों में मानव समाज में पत्रकारिता की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है -
(1) सूचना देना (to inform)
(2) शिक्षा देना (to educate)
(3) मनोरंजन प्रदान करना (to provide entertainment)
शिक्षा देना - शिक्षा देना मीडिया का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है। यहां शिक्षा का अर्थ औपचारिक शिक्षा से नहीं है, बल्कि ज्ञान के सम्प्रेषण के समस्त रूप शिक्षा के अन्तर्गत आते हैं। शिक्षा के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है तथा मीडिया द्वारा सम्प्रेषित होने वाला प्रत्येक संदेश चाहे सूचना रूप में हो या मनोरंजन के लिए इसमें शिक्षा का तत्व किसी न किसी रूप में मौजूद रहता है।
मनोरंजन प्रदान करना - मीडिया का तीसरा महत्वपूर्ण कार्य मनोरंजन प्रदान करना है। वास्तव में मनोरंजन निष्क्रिय भाव नहीं है अपितु वह रचना, अभिव्यक्ति और आस्वादन तीनों क्रियाओं में मौजूद है। जिसके द्वारा मनोरंजक कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है।
मीडिया तात्कालिक समाज में घटित होने वाली घटनाओं का न सिर्फ प्रस्तुतिकरण करता है बल्कि समयसाक्ष्य के रूप में तात्कालिक घटनाओं का आने वाले भविष्य के लिए इतिहास का दस्तावेजीकरण भी है। मीडिया समाज में एक सजग प्रहरी की तरह कार्य करते हुए पूर्वानुमान द्वारा आसन्न खतरों से भी आगाह कराता है। समाज में घटित में होने वाले उचित या अनुचित कार्यों की पहचान भी मीडिया के माध्यम से की जा सकती है। मीडिया समाज में आचार-विचार तथा व्यवहार को सकारात्मक बनाने के लिए उचित मंच प्रदान करता है तथा साथ ही एक कुशल प्रशिक्षक की भांति मानव के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास में सहायक की भूमिका निभाता है।
प्रकार - प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया
माध्यम - इंटरनेट पर आधारित सूचनाओं का आदान-प्रदान जैसे - इन्टरनेट फोरम, ई-मेल, वेबलॉग, सामाजिक ब्लॉग, माइक्रो ब्लॉगिंग आदि
भारतीय संविधान में प्रेस एंव मीडिया का अलग से परिभाषित नहीं किया गया है बल्कि इसे 19(1)(ए) वाक् एंव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अन्तर्गत ही रखा गया है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा सभी भारतीय नागरिकों को प्रदत्त है। परन्तु इस अधिकार को अनुच्छेद 19(2) द्वारा अंकुश भी लगाये गये हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय की व्याख्या के अनुसार भाषण एंव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित अर्थों में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस स्वतंत्रता के अन्तर्गत विचारों के प्रसार की स्वतंत्रता भी आती है।
योगदान
मानव समाज के आरम्भिक काल से ही मीडिया किसी न किसी रूप में अपना योगदान निभाता रहा है। ऋषि नारद सृष्टि के आरम्भिक काल के प्रथम पत्रकार माने जाते हैं। राजा-महाराजों के समय चारण-भाटों ने पत्रकारिता की भूमिका निभायी है। मानव के क्रमिक विकास के हर युग में सूचनाओं के विस्तारिकरण के लिए मानव सदा प्रयासरत रहा है तथा किसी न किसी प्रकार से सूचनाओं को प्राप्त करने या प्रचार-प्रसार के लिए सदैव प्रयासरत रहा है। समाज में घटने वाली किसी भी घटना की जानकारी चाहे वह सूचनात्मक रूप में हो या मनोरंजन के रूप में उसमें शिक्षा का पुट समाहित रहता है। वर्तमान दौर में जबकि संचार माध्यमों के तीव्रतम विकास ने पूरे विश्व को बदल कर रख दिया है तो मीडिया की भूमिका बहुत ही अहम हो जाती है। सूचना क्रान्ति के कारण ही वर्तमान समाज को सूचना समाज का जाता है। यदि कहा जाय कि, वर्तमान समय में मीडिया हमारी सांसों में घुल चुका है तो अतिशोक्ति नहीं होगी। वर्तमान युग में मीडिया को मानव जीवन की जीवन रेखा की संज्ञा दी जाने लगी है। आज हम जीवन में किसी भी फील्ड में कार्यरत क्यों न हों मीडिया हमारे एक आवश्यक अंग के रूप में विद्यमान रहता है। वर्तमान समाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण शिक्षा में अनिवार्य रूप से मीडिया को शामिल किया जाना चाहिए तभी हम पूर्ण रूप से शिक्षित हो सकते हैं।
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