चार धाम यात्रा : प्रबधन, संभावनाऐं एवं चुनौतियॉ - TOURIST SANDESH

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सोमवार, 2 मई 2022

चार धाम यात्रा : प्रबधन, संभावनाऐं एवं चुनौतियॉ

  चार धाम यात्रा : प्रबधन, संभावनाऐं एवं चुनौतियॉ

देव कृष्ण थपलियाल

    

  मई, पहले सप्ताह से शुरू हो रही, चार धाम यात्रा को लेकर सरकार की सक्रियता उम्मीद जगानें वालीं है, सरकार के साथ-साथ शासन-प्रशासन के आला अधिकारी  व्यवस्थाओं पर लगातार निगरानीं रखे हुऐ हैं,  अपनें अधिनस्थों के जरिये ग्राउण्ड जीरों की  रिर्पोटों के आधार पर भी समीक्षा की जा रहीं हैं ? यात्रा से जुडे सभी बडे अधिकारियों नें कई बार यात्रा के मार्गों और सुविधाओं का स्वयं भी भौतिक निरीक्षण किया हैं/कर रहे हैं। गढवाल मंडल के पुलिस कमिश्नर, आयुक्त, गढवाल मंडल, संबंधित जिलों के डीएम और उनके मातहत अधिकारी स्थानीय, प्रशासन, नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, होटल, रेस्टोरेंट  मालिकों टैक्सी यूनियनों से लगातार संपर्क बनाये हुऐं हैं।  पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज नें विगत दिनों मंदिर समिति के कार्यालय में जा कर सम्बन्धित अधिकारियों को उनकी लेटलतीफ पर जमकर लताड लगाई है, और उन्हे समयबद्व ढंग से काम पूरा करनें की हिदायतें दीं । स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी गत मंगलवार 26 अप्रैल को केदारनाथ धाम पधारे थे, उन्होंनें पर्यटन सचिव व स्थानीय विधायक श्रीमती शैलारानीं रावत के साथ धाम की सभी व्यवस्थाओं का जायजा लिया और यथासंभव कामों को पूर्ण करनें के सख्त निर्देश दिये । केदारनाथ पुर्ननिर्माण का काम कर रहे 700 मजदूरों के बीच जा कर मुख्यमंत्री नें इन गरीब मजदूरों का होंसला बढाया, उनके साथ फोटों खिचवाईं, तथा सरस्वती नदी पर बनें 504 मीटर लंबे आस्था पथ का जायजा लिया, वहॉ ब्रह्मकमल वॉटर पार्क बनाया जा रहा है, उन्होंनें केदारनाथ में पानीं की निकासी के लिए मास्टर प्लान के हिसाब से ड्रेनेज सिस्टम विकसित करनें की भी बात कहीं । इसके अलावा यात्रा व्यवस्था का लाइव प्रसारण सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ भी देख सकेगा जहॉ प्रधानमंत्री यात्रा की स्वयं भी मॉनीटरिंग कर पायेंगें, डीएम रूद्रप्रयाग के कार्यालय को भी केदारधाम यात्रा लाइव दिख सकेगी, ऐसी व्यवस्था बनाईं गईं हैं । उम्मीद ये भी है, कि कपाट खुलनें के दिन 6 मईं को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी केदार, धाम पहुॅच जायें, अगर प्रधानमंत्री आते हैं तो यह भी चार धाम यात्रा को सुखद और सफल बनानें में मददगार साबित होगा । इससे देशभर के तीर्थयात्रियों में विश्वास का संचार होगा ? वहीं लेंटलतीफ और लाल फीताशाही के लिए विख्यात हमारी नौकरशाही कुछ करनें के लिए गंभीर होगी ? 

उधर कोविड काल के बाद यात्रियों की उत्सुकता भी चार धाम यात्रा को सफल बनानें की दिशा आगे बढतें हुऐ दिख रही है, होटल, रेस्टोरेंटों में ऑन लाईन बुकिंग नें पिछले सारे रिकार्ड तोड दिये हैं, हेली सेवा की बुकिंग एक महिनें पहले 6 मई से 20 मई तक फुल हो चुकिं हैं, लगभग 35,000 टिकटें बुक हुईं हैं, जिसके लिए उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण यूकाडा नें यथासंभव सभी तैयारियॉ पूरी कर लीं हैं, केदारनाथ के लिए नौं एविऐशन कंपनियों के माध्यम से हैली सेवा का संचालन किया जा रहा है। परिवहन विभाग बस-टैक्सियों की कमीं को दूर करनें के लिए प्राइवेट वाहन मालिकों से सम्पर्क कर रहा है, विभाग करीब 200 रोडवेज बसों को यात्रा मार्गों पर चलानें का विचार कर रहा है, ताकि यात्रियों को कोई दिक्कत न हो । गर्मियों में यात्रा रूटों पर पानीं की भारी किल्लत होतीं हैं, इसके लिए पेयजल विभाग द्वारा यात्रा रूटों पर जगह-जगह वॉटर एटीएम लगानें जा रहा है, जहॉ यात्रियों को निःशुल्क पेयजल उपलब्ध होगा, यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा तीर्थयात्रियों का पंजीकरण अनिवार्य किया जा रहा है, इसके अलावा प्रत्येक यात्री के लिए क्यूआर कोड दिये जायेंगें जिसमें यात्री का पूरा ब्यौरा उपलब्ध रहेगा, यात्रियों को हैंडबैग उपलब्ध करानें के पीछे भी उनकी सुरक्षित यात्रा को मंगलमय बनानें की ही मंशा निहित है।  करीब 200 पीआरडी जवानों को ’आपदा मित्र‘ के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि आवश्यकता पडनें पर मुसीबत पर यात्री की मदद के लिए आगे आ सके । अस्पतालों, व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है, यात्रा वाले क्षेत्रों में विद्युत कटौती की छूट दी जा रही है।  यात्रियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए होटल-रेस्टोंरेंटों में ठहरनें-खानें के लिए उचित रेट लिस्ट चस्पा करना जरूरी कर दिया गया है। तीर्थाटन के साथ-साथ पर्यटन को बढावा देंनें के लिए सरकार नें अनेक कदम उठाये हैं,। बदरीनाथ व हेंमकुण्ड साहिब के लिए आस्था पथ बनाया गया है, जहॉ यात्रियों को आरामदायक यात्रा के साथ ही प्राकृतिक नजारों को करीब से देखनें की व्यवस्था है। चमोली जिला प्रशासन के वित्तीय सहयोग से बदरीनाथ हाइवे पर नंदप्रयाग से लेकर जोशीमठ तक 60 किमी जगह-जगह शौंदर्यीकरण का काम चल रहा है, जिसमें कहीं व्यू प्वाइंट, सेल्फी प्वाइंट बनाये जा रहे हैं। रूद्रप्रयाग के नवनियुक्त जिलाधिकारी मयूर दीक्षित  के अनुसार केदारनाथ के बेस कैंप में 1000 लोंगों के ठहरनें की व्यवस्था की गईं है। जिसमें 138 बैड की व्यवस्था केदारनाथ नंद कांम्पलैक्स, 80 बैड के लिए एमआई 26 हैलीपैड के पास तथा 90 बैड की व्यवस्था स्वार्गारोहिणी कॉटेज में की जा रही है।       

  सुगम और सफल चार धाम यात्रा के लिए सरकार की प्रतिबद्वता निश्चित ही स्वागत योग्य हैं, लेकिन अभी भी उन यक्ष प्रश्नों पर सरकार की उदासीनता बरकरार है,    जिनके समाधान प्राथमिकता के आधार पर होंनें चाहिए थे ? चार धाम यात्रा को लेकर सबसे बडी समस्या सडकों की खराब स्थिति को लेकर है ? ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए सडकों को जिस तरह से खोदा जा रहा है, उससे जगह-जगह पर खतरनाक डेंजर जौंन पैदा हो गये हैं इन निर्माणों के लिए पहाडों को   बहुत अवैज्ञानिक और बरबरतापूर्ण काटा जाता है, जिससे अक्सर पहाड, टुटनें-ढहनें व  खिसकनें शुरू हो जाते हैं, यह नासुर जानलेवा है, केदारनाथ यात्रा के लिए सिरोहबगड से  नगरासू, रूद्रप्रयाग से गौरीकूंड डेंजर जौंन में है ? वैसे भी यात्राकाल का बडा हिस्सा  बरसात में बीतता है, जिसे सडकों का बहना-टुटना, चट्टानों के खिसकनें- दरकनें से   सडकों का बाधित होना आम बात है, अपितू कई बार जानमाल की भी बहुत बडी हानि होती है, ?  जाम के झाम  की समस्या से राज्य के छोटे-बडे शहर-कस्बे  पहले ही जुझ रहें यात्राकाल सैकडों वाहनों के कारण यह समस्या और व्यापक हो जाती है ? ग्रीष्म काल की छुट्टियों के साथ दूसरा बडा लाभ उत्तराखण्ड की नैसर्गिक शौंदर्य को नजदीक से देखना भी है, यहॉ कि प्राकृतिक सुषमा व ठंडी फिजाओं का मनोरम एहसास भी तीर्थाटन/पर्यटन यात्रियों को आकर्षित करती हैं । किन्तु उत्तराखण्ड के जंगल जिस तरह से जल के राख हो रहे हैं, उससे न तो यात्रियो को न प्रकृति का नजारा मिलेगा न ही ठंडी हवाओं का एहसास ?ं जंगल में आग सम्बन्धी राज्य वन विभाग के ऑकडों से 2000-2020 से यह संकेत मिलता है, कि लगभग 2400 हैक्टेयर वन क्षेत्र सालान आग से प्रभावित होता है, जबकि वन विभाग के पास आधुनिक तकनीकी युक्त साजो-सामान उपलब्ध है, फिर भी इतनी बडी क्षति क्यों ? जबकि कहा जा रहा है, कि आग लगनें की 99 फीसदी घटनाऐं मानव जनित है, फिर ठोस कार्यवाही क्यों नहीं होती ? अंग्रेजों द्वारा 1916 में वनों के व्यावसायिक दोहन करनें के खिलाफ, सडको पर उतरनें व 70 के दशक में चिपको आदोंलन के जरिये वनों रक्षा की खातिर अपनीं जान देंनें वाली मातृ शक्ति की धरती पर वनों का इस तरह जलना कितना शर्मनाक है ? जंगलों की आग से तापमान में तेजी से वृद्वि से गर्मी बढ रही है, वही पहाड नीरस होते चले जा रहे है ? जिसका चार धाम यात्रा पर विपरित पडेगा ।

यात्रा मार्गों पर स्वच्छ शौचालयों के अभाव में यात्रीगण कहीं भी किसी भी वक्त/जगह, स्थिति में शौच के लिए विवश हो जाते हैं, जो बीमारी को जन्म देता है, सुलभ शौचालयों के नाम बनें शौचालयों की गंदगी, और दुर्गन्ध वहॉ जाने मनाही कर देती है। सुलभ शौचालयों की संख्या बढाई जाय,  उनमें रख-रखाव के लिए कर्मचारी बढाये जायें । कुडे के उचित प्रबधन के लिए भी को ठोस नीति नही है ? यात्रियों के अलावा होटल-रेस्टोरेंटों से निकलनें वाली कई-कई टन गंदगी अलकनंदा, भागीरथी मंदाकिनी, नंदाकिनी, गंगा और अन्य पवित्र नदियों-तालाबों में बहा दी जाती है। 

यात्रियों को आकर्षित करनें के लिए योग्य गाइडों की आवश्यकता भी है, जिनसे उन्हें अच्छे व्यवहार के साथ जानकारियॉ भी उपलब्ध हो सके, यात्रा को बढावा देंनें के लिए स्थानीय निवासियों का भी बढा योगदान है, उन्हें ये मालूम होंना चाहिए की यात्रा की वृद्वि उनके घरों में समृद्वि लायेगी, इसीलिए ‘अतिथि देवो भवः’ की भावना के साथ यात्रियों का स्वागत सत्कार हो ।

विगत वैश्विक महामारी कोविड काल के बाद हो रही ये यात्रा अनेक अवसरों को लेकर आ रही है, इसके लिए व्यवसायियों व व्यवस्थापकों को अपनें व्यवहार में सरलता लानीं होगी ।

चार धाम यात्रा को सूनहरा अवसर समझा जायेगा, तभी रोजगार और समृद्वि के द्वार खुलेंगें ’होम स्टे योजना’ इस समय की सबसे बडी आवश्यकता है, और बेरोजगारों के लिए ’मौका’। अधिक यात्री आनें के कारण होटल-लॉज की भीड उन्हें ’होम स्टे’ की तरफ आकषित करेगी शुद्व, स्वच्छ व सुरक्षित होम स्टे योजना से उन्हें भी लाभ होगा ।   

इसी तरह अन्य तमाम व्यवसायियों को भी चार यात्रा से अनेक लाभ होंगें। सरकार के साथ-साथ आम लोग भी इस तथ्य से वाकिफ होंगें,ं तो निश्चित ही रोजगार के साथ आर्थिक समृद्वि के द्वारा खुलेंगें । 

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