सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित : शशिधर भट्ट
सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित शशिधर भट्ट का जन्म 24 मार्च 1932 को उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले के ग्राम पीपली, पट्टी मनियारस्यूं में हुआ था। आपके पिताजी का नाम भवानीदत्त भट्ट तथा माता का नाम विमला देवी था। आपकी प्राथमिक शिक्षा कोटद्वार में हुई तथा आठवीं आपने जूनियर हाईस्कूल कांसखेत से ग्रहण की। नजीबाबाद राजकीय इण्टर कालेज से सन् 1951 में आपने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा राजकीय इण्टर कालेज बिजनौर से आपने इण्टर की परीक्षा पास करने के पश्चात् आपने एक वर्ष में बी0ए0 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात अपरिहार्य कारणों से आप आगे की शिक्षा नहीं ले पाये।
आप समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं तथा पैतृक व्यवसाय ट्रांसपोर्ट होने के कारण सन् 1965 में प्रथम बार अपने पिताजी के स्थान पर आपको जी0एम0ओ0यू0लि0 मेंं निर्विरोध संचालक चुना गया।
सन् 1967 में आपने टैक्सी व्यवसाय में पदार्पण किया तथा कोटद्वार के अवैतनिक सचिव व अध्यक्ष रहे। सन 1980 में गढ़वाल से चलने वाले माल भार वाहन के सुचारू संचालन के लिए संयुक्त यातायात समिति का गठन हुआ। संयुक्त यातायात समिति के गठन में महत्वपण्ूर् भूमिका के रूप में आप प्रमुख संयोजक रहे । बचपन से ही खेलों के प्रति आपका रूझान रहा है। स्थानीय युवकों का खेलों के प्रति आकर्षण पैदा करने के उद्देश्य से आपने 1958 में कोटद्वार स्पोर्टस क्लब का गठन किया। कोटद्वार स्पोर्टस क्लब के गठन के पश्चात् कोटद्वार में खेलों के प्रति रूझान बढ़ा तथा धीरे-धीरे यहां पर अनेक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होने लगा।
सन् 1985 से 1988 तक आप जिला खेलकूद संघ के उपाध्यक्ष पद पर रहे । सन 1986 से 1988 तक आप जी0एम0ओ0यू0लि0 के अध्यक्ष पद पर रहे। सन 1988 में रामनगर में उत्तराखण्ड परिवहन संघर्ष समिति का गठन किया गया। उक्त संघर्ष समिति में आप निरन्तर 10 वर्षों तक अध्यक्ष पद पर रहे। अध्यक्ष पद पर रहते हुए आपने गढ़वाल और कुमायूं की परिवहन संस्थाओं की कई पेचदिगियों का सरलीकरण करवाया।
सन 1988 में आप कोटद्वार नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए। आपके कार्यकाल में कोटद्वार नगर पिलका परिषद में कई जनहित के कार्य करवाये गये। कोटद्वार के इन्दिरा नगर में आप ने वर्षों से चला आ रहा भूमि विवाद को सुलझाया। दरअसल इन्दिरा नगर के आमचौर मैदान के बगल वाली भूमि पर वर्षों से रक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन का वर्षों से विवाद चल रहा था। इस विवाद को सुलझाने में आपने अपनी बुद्धि-विवेक का परिचय देते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
कोटद्वार के खेल प्रेमियों की मांग पर पनियाली तल्ली में सात एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को हटवाकर आपने शासन द्वारा एक मिनी स्टेडियम स्वीकृत करवाया। वर्तमान में यह मिनी स्टेडियम आपके नाम पर शशिधर भट्ट मिनी स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। मोटर नगर स्थित 30 बीघा भूमि को वापस नगर पालिका परिषद में लाने के लिए आपने अहम योगदान दिया है। दरअसल 1976-77 में कोटद्वार नगर पालिका परिषद द्वारा मोटर नगर में एक बस अड्डे का निर्माण के लिए मोटर नगर में 30 बीघा भूमि का चयन किय गया था। परन्तु 1988 में तत्कालीन जिला प्रशासन ने उक्त भूमि को वर्कशॉप बनाने के लिए परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश को 7,50,000/रूपये में परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश को वर्कशॉप बनाने के लिए बेच दिया था। परिषद का अध्यक्ष होने के नाते आपने उसका कड़ा प्रतिकार किया तथा परिषद की भूमि को वापस पाने के लिए जोरदार प्रयास शुरू कर दिये। आपके सद्प्रयासों से उक्त जमीन पुनः नगर पालिका परिषद को वापस मिल गयी। भले ही यहा ंपर अभी आपके सपनों का बस अड्डा बनना शेष है।
उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में भी आपने सक्रिय भूमिका निभायी तथा सन् 1992 आपको सर्वसम्मति से उत्तराखण्ड संघर्ष समिति में जिला संयोजक बनाया गया। आप शासन प्रशासन में जनहित के मुद्दे निरन्तर उठाते रहे बेहतर कोटद्वार के लिए अन्तिम सांस तक लड़ते रहे। सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित व्यक्तित्व 26 सितम्बर 2016 को भौतिक शरीर छोड़ कर आत्मिक रूप से परमात्मा में विलीन हो गये।
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