क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को सम्मान देने के लिए हर साल 8 मार्च का दिन इंटरनेशनल विमेंस डे के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि एक महिला सारे रिश्तों को एक माला में पिरोकर रखती है और महिलाओं का योगदान किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कई गुना ज्यादा ही होता है। वो घर को संभालती है और ऑफिस की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती है। यही नहीं देश की तरक्की में भी महिला मुख्य भूमिका निभाती हैं। महिलाओं को उनके कार्यों के लिए विशेष सराहना देते हुए हर साल 8 मार्च को हमारे देश में ही नहीं बल्कि, संपूर्ण विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जाता है जिससे पूरा विश्व महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मना सके। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को हर जगह अलग -अलग तरीके से मनाया जाता है और महिलाओं को अलग ढंग से सम्मान दिया जाता है। लेकिन कभी हम में से किसी ने सोचा है कि,आखिर 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय विमेंस डे ? इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है ?इसका इतिहास क्या हो सकता है ?आइए जानने की कोशिश करते हैं, इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कारणों के बारे में। इस दिन के पीछे का इतिहास लगभग 112 साल पुराना है। वर्ष 1909 में, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को मनाया जब लगभग 15,000 महिलाओं ने साथ आकर न्यूयॉर्क में कम वेतन, लंबे काम के घंटे और मतदान के अधिकारों की कमी का विरोध किया। उन महिलाओं को मांग थी कि, उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का पूर्ण अधिकार भी दिया जाए। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमरीका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया। यह वर्ष 1911 था जब रूस ने 8 मार्च को महिला दिवस मनाना शुरू किया था। वर्ष 1913 में, इसे आधिकारिक अवकाश घोषित किया गया था। दुनिया में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे हैं। देश ही नहीं विदेशों तक नाम रोशन करने वाली महिलाएं निश्चित ही सम्मान के काबिल हैं। इसलिए उन महिलाओं के सामान में महिला दिवस मनाना बहुत जरूरी है। कहीं न कहीं ये उन महिलाओं को सम्मान देने का तरीका है जो समाज को आगे बढ़ा रही हैं। इसके अलावा महिलाओं को लेकर समाज के लोगों को जागरूक करने, महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उन्हें प्रेरित करने के लिए भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बहुत महत्त्वपूर्ण है। एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की बात सामने रखी गयी थी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का आइडिया एक महिला ने ही दिया था। उनका नाम क्लारा जेटकिन था। क्लारा ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया, उस वक्त कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं। उन सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया। सबसे पहले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। लेकिन तभी से इस दिवस को मनाने का चलन शुरू हो गया और ये हर साल 8 मार्च को मनाया जाने लगा। भारत के अलावा विदेशों में भी इंटरनेशनल विमेंस डे हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। जेंडर इक्वलिटी के साथ हर साल इस दिन का एक थीम रखा जाता है और उसी थीम पर महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर कई सामाजिक संगठन कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और लोग कार्यक्रम का आनंद उठाते हैं। सबसे पहला महिला दिवस न्यूयॉर्क शहर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के तौर पर मनाया गया था। उसके बाद 1917 में सोवियत संघ ने 8 मार्च को राष्ट्रीय छुट्टी की घोषणा की थी। इंटरनेशनल वुमन्स डे के दिन महिलाओं को मुख्य रूप से तरजीह दी जाती है। घर हो या ऑफिस, सभी महिलाओं को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है। उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उन्हें उपहार और विशेष चीजें भेजी जाती हैं। व्हाट्स ऐप मैसेज और मेल के अलावा कुछ ऑफिसों में वुमन्स डे के दिन महिलाओं को छुट्टी दी जाती है या फिर उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। .....अंत में सभी महिलाओं को कुछ पंक्तियां समर्पित करना चाहूंगा जो करें नारी का सम्मान, वही है इस जग में महान। हर दिन होना चाहिए नारी के नाम, क्योंकि बिना रुके करती है वो हर काम। (नोट- इस आलेख को तैयार करने में इंटरनेट तथा अन्य संदर्भों की मदद भी ली गई है।) संग्रह एवं प्रस्तुति -- राजीव थपलियाल (प्रधानाध्यापक) राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरोड़ा संकुल केंद्र- मठाली विकासखंड -जयहरीखाल जनपद -पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
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