पर्वतीय अंचल में हो सैन्य धाम की स्थापना
शान्ति प्रसाद नौटियाल
उत्तराखण्ड में प्रसिद्ध चार धामों की तरह ही सैनिक बहुल्य इस प्रदेश में सैन्य धाम के रूप में पांचवें धाम की स्थापना की जानी चाहिए। प्रस्तावित सैन्यधाम की स्थापना हिमालय क्षेत्र के उच्च पर्वतीय अंचल में उपयुक्त स्थान पर ही होनी चाहिए। देहरादून जैसे विकसित शहर में सैन्यधाम की उपयोगिता नहीं है। कभी वन नगर के नाम से विख्यात देहरादून शहर आज मानव की मृगतृष्णा का शिकार होकर देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुका है। वैसे भी देहरादून पर इस समय राज्य की राजधानी होने के कारण निरन्तर जनदबाव बढ़ रहा है। सैन्यधाम को पांचवे धाम के रूप में मन्यता मिले तथा देश के खातिर अपने प्राणों का बलिदान करने वाले वीर सैनिकों का यह पावन पुण्य पूजा स्थल होना चाहिए। ताकि देश-विदेश का पर्यटक यहां पर शीश नहाकर परम शान्ति का अनुभव कर सके। इस उद्देश्य से सैन्यधाम की स्थापना की जानी चाहिए साथ ही आने वाली पीढ़ियों का यह सैन्यधाम मार्गदर्शन कर सके इसकी पूरी व्यवस्था इस सैन्यधाम में की जानी चाहिए। सैन्यधाम का उद्देश्य मात्र पर्यटन स्थल न हो बल्कि आस्था का एक ऐसा केन्द बनें जहां पर आकर प्रत्येक भारतवासी को गर्व की अनुभूति हो सके। गांधीनगर में अक्षरधाम पर्यटकों को आकर्षित करता है, इसी तर्ज पर एक परिकल्पना के साथ सैन्य धाम पहाड़ में बने जो की आस्थावानों को आकर्षित करें जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा, पलायन में कमी होगी, लोगों का जीवन सहज होगा व देश-दुनिया के मानचित्र पर एक नया धाम आ जाएगा। सैन्य धाम पहाड़ में स्थापित होने से यात्रा चारधाम के स्थान पर पाँच धामों की यात्रा भी हो सकती है । ट्रेचिंग ग्राउंड (कूड़ा घर) में देवतुल्य सैन्य धाम की स्थापना से कभी भी देवत्व का आभास नहीं हो सकता है।
संकल्प से सिद्धि तक : आओ! हम सभी मिलकर प्रयास करें कि देवतुल्य पांचवें धाम की स्थापना स्वर्ग के समान नागाधिराज हिमालय में ही हो।
(लेखक सेवा निवृत ज्वाइंट कमिश्नर, राज्य कर, उत्तराखंड हैं)
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जवाब देंहटाएंHow to Reach Havelock Island