व्यंग्य : चुनावी बेला पर गधा चालीसा का महात्म्य - TOURIST SANDESH

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रविवार, 31 मार्च 2019

व्यंग्य : चुनावी बेला पर गधा चालीसा का महात्म्य

चुनावी बेला पर गधा चालीसा का महात्म्य

हे प्रिय भरतश्रेष्ठ! गधा चालीसा के पुण्य प्रभाव से ही साधन सम्पन्न, सुविधाभोगी, ऐश्वर्यों से परिपूर्ण, राजसी ठाट-बाट तथा सम्पूर्ण भोगों को भोगने वाले जीवन की प्राप्ति होती है। गधा चालीसा के महात्म्य से ही राजपथ का अधिकार, लालकिले पर झण्डारोहण करने का सुख तथा देश के चौकीदार होने का गौरव प्राप्त हो सकता है। इसके श्रवण मात्र से ही मानवमात्र का कल्याण सम्भव है। देवासुर सग्रांम में भी इसका प्रभाव रहा है। यह परम पुण्य गोपनीय रहस्य को सर्वप्रथम भगवान वक्रतुण्ड ने सुखदेव मुनि को बताया था तथा सुखदेव मुनि ने मानवमात्र के कल्याण के लिए इस गोपनीय रहस्य को तीर्थराज प्रयागराज के त्रिवेणी घाट पर शौनकादि ऋषियों को बताया। आज जब विपदारुपी चुनाव सिर आन पड़े हैं तो मैं यह रहस्योधाटन आपसे कर रहा हूं। मानवमात्र के कल्याण तथा जगतहित में तुम इस गधा चालीसा का प्रचार-प्रसार करो तभी चुनावों में विजय प्राप्त हो सकती है। चुनाव विजय प्राप्त करने का यही मूल मंत्र है।

शीत का प्रकोप धीरे-धीरे कम होने लगा है। आम बौंराने लगे हैं। चिडियाओं की चहचहाट तथा भौंरों की गुंजन कर्णप्रिय हो रही है। बाग-बगीचों में रौनक छा रही है। धरती फूलों के श्रृंगार से सजने लगी है। प्रकृति में मादकता का भाव आने लगा है। ऋतुराज वसन्त के आगमन से पृथ्वी आनंद के सरोबर में डुबकी लगाने को बेताब है। ऐसा लगता है कि इस वसन्त के महापर्व में हर कोई प्राणी मदमस्त होकर फाग गाना चहाता है। एक ओर घर-आगंन में वसन्त अंगडाई ले रहा है तो दूसरी ओर देश में अबके बरस चैत-बैसाख में चुनावी शोर तथा चक-चक से वसन्त सराबोर होने वाला है। इस चुनावी बेला पर कल शाम जब मैं और चैतु चच्चा सांयकालीन सैर पर जा रहे थे तो चैतु चच्चा कह रहा था कि, इबके बरस देश के चुनावों में तो गधा चालीसा का खूब पाठ होगा। मैंनें चच्चा से उत्सुकतावश पूछ लिया, चच्चा यह गधा चालीसा क्या होती है? चच्चा ने गधा चालीसा सुनाते हुए गधा चालीसा का महत्व भी बता डाला। चच्चा ने बताया कि, बहुत समय पहले की बात है, एक बार एक गधा और एक बाघ प्रातःकालीन सैर पर जा रहे थे तभी जंगल के पेड़-पौधों की हरियाली की ओर इशारा करते हुए गधा बोला देखो बाघ महाशय वसन्त के कारण इन पेड़-पौधों पर नीलिमा छा गयी है तथा आज आसमान भी साफ-स्वच्छ हरा है। बाघ बोला अबे गधे! तू रहेगा गधा का गधा ही, क्या तुझे इतना नहीं पता कि पेड़-पौधों की पत्तियों का रगं हरा होता है तथा आसमान नीला दिखता है। गधा भी कहां बाघ से पीछे रहने वाला था वह भी अपनी पर बात अड़ गया कि पत्तियों का रंग नीला तथा आसमान हरा दिखता है। इस बात को लेकर गधे और बाध में तू-तू, मैं-मैं, बढ़ती गयी। झगड़ा बढ़ता गया तो गधा बोला में इस बात को जंगल के राजा शेर की अदालत में ले जांऊगा ताकि मुझे न्याय मिल सके,अब जंगल के राजा ही न्याय कर सकते हैं। बाघ भी तैश में आकर बोला तेरे जैसे गधे के साथ बोलना ही व्यर्थ है, चल गधे में भी तेरे साथ चलता हूं शेर मेरा मित्र ही नहीं अपितु प्रकृति का अच्छा जानकार भी है अब वही तुझे समझा सकता है, मेरे समझाने से तो तेरी समझ में आता नहीं है। बाघ और गधा दोनों शेर के पास पंहुच जाते हैं। बाघ मन ही मन सोच रहा था कि, यह गधा कितना अनजान है छोटी-छोटी बातें भी इसकी समझ में नहीं आती हैं। उधर गधा भी मन ही मन सोच रहा था कि, आज तो बाघ को सबक सिखाकर ही दम लूंगा। दरबार में पंहुचते ही गधा जोर-जोर से रोते हुए विलाप करने लगा। गधे का विलाप देखते हुए शेर बोला क्यों मेरे प्यारे गधे क्या बात हो गयी जो तुम आज दरबार में विलाप कर रहे हो। गधा बोला देखो महाराज आप का यह मित्र  बाघ मुझे डरा-धमका कर जबरदस्ती अपनी बात को मेरे पर थोप देना चहाता है। आपकी मित्रता की दुहाई देकर मारने की धमकी भी देता है। आज तो मुझे न्याय मिलना चाहिए महाराज। शेर बोला प्रिय गधे तुम्हारे साथ न्याय होगा बताओ क्या बात है। महाराज मैं इस बाघ से कहता हूं कि पेड़-पौधों की पत्तियों का रंग नीला होता है तथा आसमान हरा दिखता है परन्तु यह मानता ही नहीं उल्टा मेरे को ही गधा कहता है। क्योंकि मैं गधा हूं ना इसलिए यह बाघ मेरे साथ हमेशा भेदभाव करता है। महाराज अब आप ही न्याय करो, पत्तियों का रंग नीला तथा आसमान हरा दिखता है ना महाराज। यही सत्य है ना महाराज।

कुछ सोचते ही शेर बोल पड़ा क्यों नहीं मेरे प्यारे गधे जो तुम कह रहे हो वही सत्य है। गधा बोला यदि मैं सत्य बोल रहा हूं महाराज!तो बाघ को सजा मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए।
शेर तपाक से बोला अवश्य मिलनी चाहिए, शेर ने तुरन्त फैसला सुनाते हुए कहा कि, मैं जंगल का राजा शेर बाघ को एक साल की कठोर करावास की सजा सुनाता हूं, बाघ को अभी कैद कर लिया जाए।
गधा मन ही मन प्रफुलित होकर शेर की जय-जयकार करते हुए वापस घर जाने लगा। दूसरी ओर बाघ मायूस होकर करागार में अपनी सजा पूरी होने का इन्तजार करने लगा।
एक दिन अचानक शेर, बाघ से मिलने पहुंच गया तथा बाघ से बोला बताओ मित्र कैसा महसूस कर रहे हो। बाघ क्रोधित होते हुए शेर से बोला सब कुछ जानते हो फिर भी पूछ रहे हो परन्तु एक बात का उत्तर दे दो कि सब कुछ जानते हुए भी आपने गलत निर्णय क्यों दिया? शेर, बाघ से बोला शान्त मित्र! शान्त हो जाओ। वैसे में भी जानता हूं कि पत्तियों का रंग हरा तथा आसमान नीला दिखता है परन्तु शायद तुम भूल रहे हो कि हमारे जंगल में लोकतन्त्र का राज है,यहां हर फैसला लोकतान्त्रिक ढंग से लिया जाता है। अब आप तो जानते ही हैं कि लोकतन्त्र में बहुमत का क्या महत्व होता है? वैसे आप कि जानकारी के लिए बता दूं कि अपने जंगल सबसे अधिक जनसंख्या गधों की है। लोकतन्त्र का तकाजा भी यही कहता है कि, बहुमत के पक्ष में निर्णय दिया जाए। हवा का रुख भांप कर ही लोकतन्त्र में राज किया जाता है तथा लोकतन्त्र में लोकपक्ष को सदैव अपने पक्ष में करने के लिए जुगत भिड़ायी जाती है। यही लोकतऩ्त्र की सच्चाई है। चुनावी वैतरणी पार करने के लिए गधा चालीसा का पाठ आवश्यक शर्त है। यदि सच्चाई से परे जाकर भी चुनाव जीता जा सकता है तो फिर चुनाव प्रबन्धन की यही नीति-रीति बेहतर है। इधर शेर महाराज चुनाव जीतने के लिए अपनी कथा-व्यथा सुना रहे थे और उधर बाध सिर धुन रहा था। हांलाकि तब से आज तक ना तो शेर ने कभी बाघ को मित्र कहा और ना ही बाघ ने कभी शेर को मित्र बताया।
 हे भरतनन्दन! इस पुण्य भारत भूमि में जब-जब चुनावी बयार बहती है तब-तब घर-घर गधा चालीसा पाठ शुरु हो जाता है।
हे प्रिय भरतश्रेष्ठ! गधा चालीसा के पुण्य प्रभाव से ही साधन सम्पन्न, सुविधाभोगी, ऐश्वर्यों से परिपूर्ण, राजसी ठाट-बाट तथा सम्पूर्ण भोगों को भोगने वाले जीवन की प्राप्ति होती है। गधा चालीसा के महात्म्य से ही राजपथ का अधिकार, लालकिले पर झण्डारोहण करने का सुख तथा देश के चौकीदार होने का गौरव प्राप्त हो सकता है। इसके श्रवण मात्र से ही मानवमात्र का कल्याण सम्भव है। देवासुर सग्रांम में भी इसका प्रभाव रहा है। यह परम पुण्य गोपनीय रहस्य को सर्वप्रथम भगवान वक्रतुण्ड ने सुखदेव मुनि को बताया था तथा सुखदेव मुनि ने मानवमात्र के कल्याण के लिए इस गोपनीय रहस्य को तीर्थराज प्रयागराज के त्रिवेणी घाट पर शौनकादि ऋषियों को बताया। आज जब विपदारुपी चुनाव सिर आन पड़े हैं तो मैं यह रहस्योधाटन आपसे कर रहा हूं। मानवमात्र के कल्याण तथा जगतहित में तुम इस गधा चालीसा का प्रचार-प्रसार करो तभी चुनावों में विजय प्राप्त हो सकती है। चुनाव में विजय प्राप्त करने का यही मूल मंत्र है।
  अबके बसन्ती बयार की चुनावी बेला पर गधा चालीसा सिर चढ़ कर बोल रही है तथा वास्तविक सच्चाई हमेशा की तरह फिर धूल फांक रही है। अबके बसन्त आप तो तैयार हैं ना गधा चालीसा का पाठ करने के लिए! आखिर सुविधाभोगी जीवन तथा चैतु चच्चा की इज्जत का सवाल है।                     


2 टिप्‍पणियां:

  1. d sesn is chunavvi sesn I'm joshi n u nautiyal,alana falana ,rawat ,negi,rothan ,Alana falana , kathin lagatahe sunana. to ab suno mere gadhwal ke logo aapke rahan sahan or balidan ka majak udaya khangress ne. apko hamko ujada congress ne apke upar raj kiya congress ne or ab tum hi the muslim se ghar banana wale vo bi apne purvajo ke ghar banana walo ko dur karke.( ABI KUCH DIN PAHE EK CAMPIN CHLA BRAHMIN HATAO DESH BCHAO) ME ESE LOGO SE KAHANA CHAHTA HU AAP AQPNE BICHAR HATAO OR DESH TO BAD ME BACHANA SARV PRATHAM APNE PARIVAR KO BACHANA

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