भूक्षरण रोकने में मालू है कारगर
-सुभाष चन्द्र नौटियाल
विषम भूगोल वाले राज्य उत्तराखण्ड में अनेक स्थलों से
निरन्तर भूस्खलन का खतरा बना रहता है। वर्षाकाल में तो इन
स्थलों की स्थिति अधिक विषम और भयावह हो जाती है। जैसा कि
हम प्रायः देखते हैं कि वर्षाकाल में भूस्खलन के कारण अनेक
यातायात के मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं। ऐसे समय में हालात अधिक गम्भीर
ओर चिन्तनीय हो जाते हैं। यदि भूस्खलन वाले स्थानों पर मालू
की पौध का रोपण किया जाय। तो वह बहुत ही कारगर साबित हो सकती है।
मालू की जड़ भूक्षरण वाले स्थानों में मिट्टी को कसकर जकड़े
रहती है। जिसके कारण उन स्थानों से भूकटाव नहीं होता तथा
मिट्टी बहने से रूक जाती है। यदि भूक्षरण वाले स्थानों पर मालू का
रोपण किया जाय तो इसका व्यावसायिक उपयोग भी किया जा सकता है। मालू
की लता की उपयोगिता इसी बात से सिद्ध होती है कि मालू का अंग छाल,
तना, बीज, पत्ते जड़ सभी उपयोगी हैं। पत्तों से पत्तल, दोना, गिलास
आदि के निर्माण किया जा सकता हैं तो छाल से रस्सी का निर्माण किया जाता
रहा है। उत्तराखण्ड की संस्कृति में रचा बसा मालू वास्तव में एक
औषधीय लता है। पहले इससे छंतोली, छप्पर आदि का निर्माण किया
जाता रहा है। आज भी ईको टूरिज्म के लिए ईको हट बनाने में यह
कारगर साबित हो सकता है। पत्तल दोनों तथा गिलासों का उपयोग
शादी-ंविवाह आदि सार्वजनिक समारोहों में किया जा सकता है।
व्यावसायिक तौर पर मालू से बने उत्पादों की सप्लाई अन्य राज्यों तथा
विदेशों में भेज कर अच्छा लाभ भी अर्जित किया जा सकता है। वास्तव में
इसके प्राकृतिक रेशों तथा पत्तों का सही उपयेग किया जाए तो यह
प्लास्टिक को मात देने में सक्षम है। मालू एक औषधीय पौधा है।
आदिकाल से इसका उपयोग औषधी के रूप में किया जाता रहा है इस पर
अभी शोध कार्य किये जाने की आवश्यकता है। इसके पत्ते
एंटीबायोटिक होते हैं। अपनी विषेशताओं के कारण ही
उत्तराखण्ड में पहले भी मालू का व्यापक उपयोग होता रहा है।
प्लास्टिक को मात देने तथा राज्य की आर्थिकी को सुदढ़़ करने के
साथ-ंसाथ भूक्षरण को रोकने के लिए यह बहुत ही कारगर साबित हो
सकता है। यदि राज्य सरकार इस दिशा में गम्भीरता के साथ आगे बढ़ती
है तो निश्चित रूप से मालू इस राज्य की आर्थिकी की रीढ़ साबित हो सकता
है।
मालू (Bauhinia Vahlii) की संक्षिप्त विशेषतायें
Common Name -malu creeper, Adda leaf
Pahur Camel; Foot Creeper
Family- Fabaceae
Habitats - Clamax Monsoon-deciduous
Forests at elevations upto 500 mtrs.
to 1,500 mtrs.
Type - Shrub Height 10 to 30 metre
long and 20 meter centimeter diameter
1- मालू एक औषधीय लता है इसका उपयोग आयुर्वेद में
औषधी के रूप में किया जाता है । इसके पत्ते एन्टीबायोटिक
होते हैं। बीज (टेंटी) खाने में स्वादिष्टता से भरपूर तथा
फाइबर के अच्छे स्रोत हैं।
2- पत्तल, दोनों, गिलास, रस्सी, छंतोली आदि का निर्माण कर
इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। इससे राज्य की आर्थिकी
सुदढ़़ होगी। यदि शादी -ं विवाह आदि अन्य समारोहों में इसका
उपयोग बढ़़ता है तो यह प्लास्टिक के सशक्त विकल्प के तौर पर
उपयोगी साबित हो सकता है।
3-ं मालू से ईको टूरिज्म हट तैयार कर पर्यटन को बढ़ाया दिया
जा सकता है। उत्तराखण्ड से पहले भी छप्पर आदि बनाने में इसका
उपयोग होता रहा है।
4-ं मालू की यदि निरन्तर कंटाई-ंछंटाई होती है तो यह अधिक
तेजी से बढ़ने वाली लता है।
5-ं मालू की जड़ भूमि में गहराई तक जाकर मिट्टी को रोके
रखने मे सक्षम है। अतः भूक्षरण वाले स्थानों में क्षरण को
रोकने के लिए मालू वरदान साबित हो सकता है।
6-ं इस प्रजाति में कुछ ऐसी विशेषता होती है कि यह मिट्टी में
बैक्टीरिया के साथ एक विशेष संबंध बनाता है। ये बैक्टीरिया
मालू लता की जड़ों में गांठ बनाते हैं और वायुमण्डलीय
नाइट्रोजन को ठीक करते हैं। इस नाइट्रोजन में से कुछ का
उपयोग बढ़़ते पौधों द्वारा किया जाता है तथा कुछ का उपयेग
आस-ंपास की अन्य प्रजाति के पौधों द्वारा किया जाता है । इस प्रकार
मालू लता भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक है।
7-ं जल संरक्षण तथा मूल जलस्रोतों को पुनः जीवित करने में
भी मालू कारगर साबित हो सकता है।

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