जब मन का दीप जले तो मनाऐं दीपावली - TOURIST SANDESH

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सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

जब मन का दीप जले तो मनाऐं दीपावली

 जब मन का दीप जले तो मनाऐं दीपावली

सुभाष चन्द्र नौटियाल


भारतीय संस्कृति में विभिन्न प्रकार के पर्वो, व्रतों, त्यौहारों तथा महापुरूषों की जयन्तियों को मनाने की परम्परा रही है। अधिकांश पर्व ऋतु जोड़ पर मनाये जाते है। सनातनी धर्म, वैदिक संस्कृति की यह विशेषता रही है कि यहां मनाये जाने वाले त्यौहार, पर्व, व्रत तथा जयन्तियां किसी न किसी उद्देश्य से मनाये जाते रहे हैं। इसी क्रम में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीय तक के समय को दीपावली के रूप में मनाया जाता है। त्रयोदशी को धनतेरस चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है तथा इस दिनों दीपदान की प्रथा रही है, इसे छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है इसी प्रकार कार्तिक मास की आमावस्य की दीपों का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली मनायी जाती है। इस दिन पूरे भारतवर्ष में लक्ष्मी पूजा की जाती है। इसी क्रम में कार्तिक शुक्लपक्ष की प्रथमा को गोर्वद्धन पूजा, अन्नमूल्य या बलराज मनाया जाता है तथा द्वितीय को भैयादूज मनाया जाता है धनतेरस (कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीय तक) से भैयादूज तक के समय को पंच दिपावली पर्व कहते है। पंच दीपावली से पूर्व कार्तिक अष्टमी को अहोई अष्टमी मनायी जाती है। इस दिन महिलाएें अपनी संतानों के सौभाग्यवर्द्धन के लिए व्रत करती है। धनतेरस के दिन लोग घरों के लिए घरेलू उपयोगी खरीददारी करना शुभ मानते हैं इसी दिन औषधियों की अधिष्ठागी मां धन्वन्तरी की जयन्ती भी मनायी जाती है। इसलिए इस दिन की महत्ता कहीं अधिक है। यह जीवन के प्रति सकारात्मक संदेश देती है कि मन से दुर्भावना का अवसाद हटा कर मन में ज्ञान का दीप जलाने से तन-मन स्वस्थ्य रह सकता है इसलिए इस दिन से दीपावली की शुरूआत मानकर पंच दीपदान की प्रथा भारतीय समाज में रही है। नरक चतुर्दशी के दिन माना जाता है कि इस दिन प्रभु श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 1600 युवतियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था। कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को राजा बलि की कैद से आजाद कराया था। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रथमा का दिन समस्त जीवधारियों (प्राणी तथा वनस्पति) के संरक्षण प्रदान करते हुए प्रकृति संरक्षण के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन प्रभु श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों को जलप्रलय से रक्षा हेतु गोवर्द्धन पवर्त भी उठा लिया था तभी से भगवान श्रीकृण गोर्वद्धन गिरधारी कहलाये थे। इस दिन पशुओं की पूजा कर विभिन्न प्रकार का चारा खिलाया जाता है। कार्तिक द्वितीय को यम द्वितीय के रूप में मनाया जाता है माना जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं। दरअसल भारतीय संस्कृति में दीपावली का बहुत अधिक महत्व है। इन पंच दिवसों में घरों को घर के विशेष प्रकार से सजावट कर अंधकार को मिटाने के लिए रोशनी की जाती है। भारतीय संस्कृति में प्रत्येक त्यौहार, पर्व का आत्मीयता से सम्बन्ध रहा है। आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से माना जाता है। आत्मा के आलौकित करने के लिए ही भारतीय संस्कृति में व्रत पर्व त्यौहारों को मनाने की सदियों पुराना परम्परा रही है। वास्तव में यही पर्व, त्यौहार हमें मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण करते हुए जीवन में नव-संचार के लिए प्रेरित करते हैं। दीपावली का पर्व अज्ञान रूपी तम को मिटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश की प्रेरणा देता है। मन में जब ज्ञान की स्वीकार्यता होने लगती है तो अज्ञानरूपी अंधकार स्वयं ही मिटने लगता है। आओ दीपावली के इस शुभ पर्व पर ज्ञानरूपी दीप जलाकर अज्ञान रूपी अंधकार को मिटा दें। 

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