पर्यटन और पहाड़ - TOURIST SANDESH

शनिवार, 21 सितंबर 2019

पर्यटन और पहाड़

पर्यटन और पहाड़

(विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष)

यह तो हम सभी भलीभांति जानते ही हैं कि,रोज की व्यस्ततम दिनचर्या और तनाव से जरा दूर हटकर प्रकृति की सुरम्य और रमणीक सतरंगी बयार को करीब से देखना बेहद खूबसूरत और तरोताजा कर देने वाला एहसास है। दुनिया घूमने के शौकीन लोगों के लिए भी एक दिन तय है जिसे हर कोई शौक के उत्सव के तौर पर मना सकता है। जी हां मैं बात कर रहा हूँ 27 सितंबर, याने कि-विश्व पर्यटन दिवस की, हर साल इस तारीख को पर्यटन के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि,पर्यटन का उद्देश्य - सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लाने में ही नहीं है,बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश हैं, जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है।
पर्यटन का महत्व और पर्यटन की लोकप्रियता को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1980 से 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। विश्व पर्यटन दिवस के लिए 27 सितंबर का दिन चुना गया क्योंकि इसी दिन 1970 में विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। हर दिवस की तरह पर्यटन दिवस की खासियत यह है कि ,हर साल लोगों को विभिन्न तरीकों से जागरूक करने के लिए पर्यटन दिवस पर बहुत अच्छी -अच्छी थीम रखी जाती हैं। इस साल इस दिवस की थीम रखी गई है-
‘टूरिज्म एंड वाटर- प्रोटेक्टिंग आवर कॉमन फ्यूचर’ यूं तो पर्यटन को दुनियाभर के लोग पसंद करते हैं,लेकिन पर्यटन में भी जल आधारित पर्यटन का अपना विशेष महत्व है। नदियों, झीलों, जल प्रपातों के किनारे दुनियाभर में कई पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है और भारत वसुंधरा के कई ऐसे पर्यटक स्थल भी चंहम दव. 2
इसी तरह से पर्यटन की प्रासंगिकता,उपादेयता तथा वांछनीयता पर चार चांद लगा देते हैं।यह अपने आप में हम
सभी लोगों के लिए बहुत बड़ी बात है। पर्यटन के परिप्रेक्ष्य में मेरा यह मानना है कि,यह विशेष दिन इसलिये चुना गया क्योंकि इस दिन 1970 में यू.एन.डब्ल्यू.टी.ओ. के कानून प्रभाव में आये थे जिसे विश्व पर्यटन के क्षेत्र में बहुत बड़ा मील का पत्थर माना जाता है, इसका लक्ष्य विश्व पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में अन्तर्राष्ट्रीय समुदायों के साथ साथ सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर कैसे प्रभावित करता है के
बारे में लोगों को जागरुक करना है।इस दिन हर साल एक विशेष विषय के साथ लोगों को जागरुक करने के
लिये पूरे विश्व में हर वर्ष आम जनता के लिए एक संदेश यू.एन.डब्ल्यू.टी.ओ. के महासचिव द्वारा इस अवसर पर प्रतिभाग करने के लिए भेजा जाता है। यह विभिन्न पर्यटन उद्यमों, संगठनों, सरकारी एजेंसियों आदि के द्वारा बहुत रुचि के साथ उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएँ जैसे पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये फोटो ग्राफी प्रतियोगिता, के साथ-साथ कई मनोरंजक गतिविधियां करायी जाती हैं। उत्तराखण्ड में बहुत से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान आदि। ये सभी पर्यटन स्थल देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते हैं, हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग का एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री भी इसी राज्य में हैं।इन स्थानों की यात्रा के लिए प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते है और प्राकृतिक सुषमा का दीदार करते हैं।
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भारत की मनमोहक, प्राकृतिक सुन्दरता को देखने के लिए देश-विदेश के लोगों को,प्रधानमंत्री जी ने हाल ही में ,कश्मीर की सुन्दर वादियों से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी के समुद्र तट पर सुन्दर सुनहरी शाम और पूरब में अरुणाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुन्दरता और वनों से लेकर पश्चिम में गुजरात के कच्छ के रण तक इतनी विविधताओं से भरे देश में घूमने आने का न्योता दिया है ।प्रधानमंत्री जी ने अपने संदेश में कहा है कि,विश्व पर्यटनदिवस पर मैं दुनियाभर के लोगों को आने और अतुल्यभारत की सुन्दरता को देखने तथा हमारी मे जबानी का आनंद उठाने की अपील करता हूं। युवाओं से देश की यात्रा करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा है कि मैं खासतौर से अपने युवा मित्रों से अनुरोध करता हूं कि वे भारत घूमें और हमारे देश की विविधता  को स्वयं देखें। उन्होंने-ü39;मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से भी लोगों से अपील की कि, आप लोग भारत वर्ष में पधारकर प्रत्येक प्रान्त की प्राकृतिक छटा का आनंद लें।
अब मैं आप सभी को किसी कवि की कुछ पंक्तियाँ समर्पित करना चाहूँगा।

आते हैं वे हिमालयी क्षेत्रों में घूमने,
पर्यटक हैं वे, चाहते हैं - मनोरंजन
और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का ज़ायका बदलना।
नटखट प्रकृति सर्वस्व सौंपती लुटाती,
रूप रंग फैलाती भुजाए
पगडंडियों पर घूमते-घामते
पहूँचते किसी पर्वत-शिखर,
छोड़ते हैं शिला और पेड़ों पर
अपना परिचय अपनी पहचान और निशान
सूर्योदय-दर्शन के अभिलाषी
पर्यटक हैं वे,
कैमरों में कैद कर मधुर स्मृतियाँ ढोते हैं कंधों पर,

चंहम दव. 4

पर्यटक हैं .... वे!
शिखर तलहटी, घूमते
रच-बस जाते प्रकृति में
बदलते जायका होते तरोताजा
अन्ततः...... पर्यटक हैं ..... वे।

संग्रह एवं प्रस्तुति....

राजीव थपलियाल, सहायक अध्यापक (गणित),
राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय सुखरौ देवी कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)

1 टिप्पणी:

  1. Jin shabdon ka prayog kiya hai sir aapne, behad hi shandar aur sundar hain. Poora lekh padha dhyan se. Bahut achha laga.
    Sundar richak writing ke liye badgai sir.
    Dr. Muzahid hussain.

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