झिलमिल -झील, कुदरत का अनोखा उपहार - TOURIST SANDESH

शनिवार, 21 सितंबर 2019

झिलमिल -झील, कुदरत का अनोखा उपहार

मेरी कलम से, मेरी ज़ुबानी.....................

झिलमिल -झील, कुदरत का अनोखा उपहार

डॉ0 मुज़ाहिद हुसैन


भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य को ईश्वर ने, दोनों हाथों से भर- भर कर कुदरती खूबसूरती से नवाजा है। इसी प्रकृतिक सौन्दर्य को निहारने के लिये देश-विदेश से सैलानी यहाँ खिंचे चले आते है। हिमालय की गोद से निकलकर गंगा नदी जब मैदानी इलाकों में आती है, तो सैकड़ों मीलों में फैले जंगलों का निमार्ण करती है। मोक्षदायिनी गंगा नदी अपने जल से इन जंगलों को सींचकर इन जंगलों में घने वृक्षों के साथ-साथ जंगली पशुओं का भी पालन- पोषण करती है। हरिद्वार शहर की हदें पार करके नीचे गंगा नदी के चारों ओर विशाल वन
हैं। इसी प्रकार से ’हरिद्वार वन प्रभाग’ के ’चिड़ियापुर वन रेंज’ में गंगा नदी के बायीं ओर एक दलदलीय क्षेत्र स्थित है, जिसे ’झिलमिल -झील’ के नाम से जाना जाता है। आइये, इस दर्शनीय स्थल के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं। झिलमिल -झील का क्षेत्र नजीबाबाद नगर से पश्चिम की ओर (हरिद्वार शहर की ओर) लगभग 32 किलोमीटर पड़ता है। नैशनल हाइवे 74 पर यह संरक्षित वन क्षेत्र हरिद्वार शहर के चंडी घाट पुल से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। झिलमिल -झील एक कटोरीनुमा  झील है।
गंगा नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अमूल्य वन संपदा और जंगली पशुओं का घर है, और किसी सौगात से कम नही है। और विलुप्ति के कगार पर खड़े कुछ जंगली जानवरों की प्रजातियों के लिए भी एक आश्रय स्थल है। यह संरक्षित क्षेत्र  लगभ्रग  3870.5 हेक्टेयर में फैला है, जिसमें मुख्य रूप से झिलमिल -झील का क्षेत्र हिरनों की एक प्रजाति बारहसिंगा के लिए प्रसिद्ध है। बारहसिंगा  साल 2005 की गणना के अनुसार यहाँ पर केवल 55 ही थी। हरिद्वार वन प्रभाग के अथक प्रयासों के बाद, और राज्यसरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिये जाने के बाद यहाँ पर बारहसिंगों की गिनती  लगातार बढ़़ती जा रही है, जो कि एक खुशी की बात है। इस दलदलीय क्षेत्र में पाई जाने वाली पटेरा घास इन बारहसिंगों का मुख्य भोजन है। और वनकर्मियों की चौकस निगाहों के कारण इस प्रजाति की संख्या बढ़कर विगत कुछ वर्षों में सात-आठ से दस गुना तक पहुँच गई है। इसके अलावा यह झील और आसपास का संरक्षित क्षेत्र एशियाई हाथियों का भी गढ़ है, यह पूरा क्षेत्र राजाजी नैशनल पार्क से सटा हुआ होने के कारण यहाँ पर हाथियों का अधिक आवागमन रहता है। हरिद्वार वन प्रयाग ने यहाँ पर कई जलघर   का भी निर्माण करवाया है, जो कि इन जंगली जानवरों के लिए वरदान साबित हुआ है। यहाँ पर आस- पास बसे गुज्जरों और उनके पशुओं की इन वनों की निर्भरता के कारण वन प्रशासन इन्हें कही और बसाने के लिए प्रयासरत है, ताकि वनो की, वन्य संपदा की और इन पशुओं की हानि से बचा जा सके। इस क्षेत्र में लगभग 120 स्तनधारी 07 ससीसृप और 100 से ऊपर पक्षियों की प्रजातियों परवान चढ़ रही हैं। बेहतर पारिस्थितिकी के चलते यहाँ पर गुलदारों की संख्या में बढ़़ोतरी दर्ज की गई है। लकड़बग्घें का देखा जाना भी अच्छा संकेत है और श्यामपुर वन रेंज में बाघ को भी देखा गया है। यहाँ हजारों की संख्या में सॉभर, काकड़ और चीतलों के झुण्डों को देखा जा सकता है, जो कि एक कभी ना भूल पाने वाला अनुभव बन जाता है। बाघों का भी कुनबा बढ़ने के आसार हैं। नमी वाले इलाकों में साँपों और अजगरों की बढ़़ोतरी भी एक अच्छा संकेत है। जंगली पशुओं की बढ़़ती संख्या पर यहाँ से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 74 एक संकट बना हुआ है। कई बार वाहनों की चपेट में आ जाने से कई पशुओं की मृत्यु  हो चुकी है। घायल पशुओं के इलाज के लिए ’’वन्यजीव ट्रांजिट पुनर्वास केन्द्र’’ -  चिड़ियापुर उपयोगी साबित हुआ है। हरिद्वार वन प्रभाग द्वारा 16 किलोमीटर का सफारी ट्रैंक भी तैयार किया गया है, जहाँ पर सफारी का आनंद लिया जा सकता है, और इस क्षेत्र को निहारा जा सकता है। इस ट्रैंक को आने वाले समय में पीली और रसियाबड़ तक बढ़़ाये जाने की भी योजना है। हरिद्वार वन प्रभाग द्वारा यहाँ से सटे टॉटवाला गांव के ग्रामीणों को पर्यटन विभाग द्वारा प्रशिक्षित करवाया जा रहा है, जिससे यहाँ के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और वनों पर अध्ययन करने की भी सुविधा होगी।
झिलमिल -झील और आसपास का यह वन क्षेत्र समुद्र तल से 300 से 650 मीटर तक ऊँचा है। यहाँ पर उष्ण देशीय, शुष्क एवं पर्णपातीय प्रजाति के वन पाये जाते है। यहाँ पर वन विभाग द्वारा बनाया गया वाच टावर भी इस झील क्षेत्र की सुन्दरता को निहारने का एक प्रमुख साधन है। इस वॉच टावर पर चढ़ कर झील का विहंगम दृश्य अपने दिल में बसाया जा सकता है। कुल मिलाकर यहाँ पर एक बार कम से कम अवश्य आयें और वनों की सुन्दरता को अवश्य निहारें।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरत लफ़्ज़ों में एक एक खूबसूरत इलाके से रूबरू कराने के लिए शुक्रिया ।

    डॉ साहब अल्लाह आपकी क़लम को धार दे और बुलंदी बख्शें।

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