- TOURIST SANDESH

Breaking

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

ग्रीन क्लीन सिटी हो लक्ष्य
green clean city images के लिए इमेज परिणाम
उत्तराखण्ड के 84 नगर निगमों की चुनावी प्रक्रिया जारी है। 18 नवम्बर को सम्पन्न होने जा रहे चुनावों को परिणाम 20 नवम्बर को घोषित होगा। उत्तराखण्ड के नगरों को विकसित करने के लिए इन चुनावों का विशेष महत्व है। अनेक नगरों की सीमा विस्तार कर नगरीय क्षेत्रो में कई गांवो को शामिल कर लिया गया है। साफ है कि, मौजूदा सरकार नगरीय व्यवस्थाओं को प्रदेश में विस्तार चाहती है इसलिए नगर की सीमाओं का विस्तार किया गया है। सरकार ने जिन क्षेत्रों का विस्तार कर नगर क्षेत्र में शामिल किया है वह क्षेत्र हरित क्षेत्र तथा जैव विविधता से सम्पन्न क्षेत्र हैं। यदि वास्तव में सरकार प्रदेश का विकास चाहती है तो उसे ग्रीन, क्लीन सिटी का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। विकास के नाम पर जिस प्रकार नगरीय क्षेत्रों में प्रदूषण का विस्तार हुआ है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। उत्तराखण्ड की भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने के लिए भी इन चुनावों का बहुत अधिक महत्व है। नगर निकायों के माध्यम से संचालित होने वाली योजनाओं का प्रदेश के विकास में अहम योगदान होता है। प्रदेश सरकार को साफ-स्वच्छ तथा हरित शहरों को विकसित करने के लिए विशेष प्रयास करने भी आवश्यक है। शहरों में संचालित होने वाली योजनाएें ना सिर्फ प्रदेश की बल्कि पूरे देश की दशा और दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तराखण्ड का 71 फीसदी भू-भाग वनीय है। परिस्थितिकी संतुलन की दृष्टि से हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड का विशेष महत्व है। विश्व का वाटर टैंक कहलाने वाला यह शुद्ध जल की खान हैं पिछले कुछ समय से विकास के नाम पर नगर विस्तारीकरण तो किया जा रहा है परन्तु अनियोजित प्लान के कारण प्राकृतिक रूप समृद्धि इस क्षेत्र की फिजा को खराब कर दिया है। बिना नियोजित प्लान तथा राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण हमारे शहर दिन प्रतिदिन अपनी सुन्दरता खोते जा रहे है। बढ़ता प्रदूषण इन शहरी क्षेत्रों में दानवी रूप लेता जा रहा है। उदाहरण के लिए प्रदेश की राजधानी देहरादून कभी वन नगर के रूप में विश्व प्रसिद्ध था परन्तु जिस प्रकार यहां अनियोजित तथा अनियमित बसावट हुई उसने पूरे शहर की आबोहवा को खराब कर दिया है। इसी प्रकार अनियोजित तथा अनियंत्रित योजनाओं के कारण हल्द्वानी, हरिद्वार, रूद्रपुर, काशीपुर, श्रीनगर, उत्तरकाशी, टिहरी आदि कई छोटे-बडे शहरों की दुर्दशा देखी जा सकती है। विकास के नाम पर जिस प्रकार की योजनाओं को इन शहरी क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा है। उससे प्रदेश की समृद्ध परम्परा, जैव विविधता, शुद्ध जल, भूजल, नदियां आदि बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। मूल जल स्रोतों का निरन्तर सूखना इस प्रदेश के लिए खतरे की घंटी है। वास्तव में यदि प्रदेश का समग्र विकास करना है तो ग्रीन, क्लीन सिटी की अवधारणा से हमारे शहर ऑक्सीजन हब के रूप में विकासित किये जा सकते हैं। यदि हब अपने शहरों में स्वच्छता के साथ हरियाली को बचाने में सफल होते हैं तो यहां ग्रीन पर्यटन क्षेत्र विकसित किये जा सकते हैं। इससे देशी-विदेशी पर्यटन तो बढे़गा ही बल्कि राज्य के आय के साधन भी विकसित होंगे। ग्रीन क्लीन सिटी की अवधारणा को जमीन में उतारने से ना सिर्फ हमारे शहर प्रकृतिक रूप से समृद्ध होंगे बल्कि स्वस्थ्य, समृद्ध, स्वच्छ हरित शहर भी विकसित करने के लिए आवश्यक है कि, शहरों में संचालित होने वाली योजनाओं में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन तथा स्वच्छता को विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता तथा तभी ग्रीन क्लीन सिटी की अवधारणा को मूहर्त रूप दिया जा सकता है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें