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शनिवार, 23 नवंबर 2024

राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए सभी राज्यवासियों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता

सम्पादकीय

राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए सभी राज्यवासियों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता

लम्बे आन्दोलन के बाद भारत के 27वें राज्य के रूप में उत्तराखण्ड राज्य का गठन 9 नवम्बर 2000 को हुआ था। पिछले 24 वर्षों में राज्य ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।  हालांकि राज्य स्थापना के मूल उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अभी लम्बी यात्रा का सफर तय किया जाना है। विकासात्मक ढांचा और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। सड़क निर्माण से राज्य में सड़क नेटवर्क में सुधार हुआ है। पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नई सड़कें, सुरंगें और पुल बनाए गए हैं। जैसे, चमोली में अलकनन्दा नदी पर पुल और धारचूला तक सड़क कनेक्टिविटी भी बढ़ी है। इसी प्रकार जल जीवन मिशन के तहत राज्य में जल आपूर्ति की व्यवस्था में सुधार हुआ है। देहरादून और हल्द्वानी जैसे प्रमुख शहरों में शहरीकरण बढ़ा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर भी कार्य प्रगति पर है। राज्य में पर्यटन उद्योग बढ़ा है तथा पर्यटन को नये स्वरूप में प्रस्तुत करने के लिए निरन्तर प्रयास जारी हैं। ज्ञात हो कि, उत्तराखण्ड प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर राज्य है तथा पर्यटन उद्योग में राज्य में अपार सम्भावनायें हैं। चारधाम यात्रा, कुमाऊं और गढ़वाल के पर्वतीय स्थल, और रिसॉर्ट और एडवेंचर टूरिज़्म के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ा है। राज्य ऑल्टरनेटिव ऊर्जा का हब भी बन सकता है। राज्य ने हाइड्रोपावर और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उत्तराखण्ड में पनबिजली परियोजनाओं के विकास से ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि हुई है। इन पनबिजली परियोजनाओं में राज्य की जैवविविधता तथा राज्य के प्राकृतिक सौन्दर्य को बनाये रखने की जिम्मेदारी भी सम्बन्धित संस्थाओं तथा राज्य सरकार की है।  इसी प्रकार  राज्य में उच्च शिक्षा की दिशा में भी काम हो रहा है। हिमालयन विश्वविद्यालय और उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थान स्थापित किए गए हैं। राज्य के उच्च शिक्षण संस्थाओं से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करना केन्द्र तथा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य केन्द्रों और अस्पतालों का विस्तार तो हुआ है। पहाड़ी क्षेत्रों में भी मोबाइल स्वास्थ्य सेवा और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का भी विस्तार किया गया है परन्तु लक्ष्य अभी बहुत दूर है। राज्य के पर्यावरण और वन क्षेत्र की रक्षा के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं। भले ही राज्य ने वन क्षेत्र का संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में संतुलन बनाए रखने की दिशा में काम किया जा रहा है परन्तु समग्र नीति आनी अभी शेष है। गंगा नदी संरक्षण के प्रयासों के तहत राज्य में गंगा के किनारे के क्षेत्रों में सफाई और प्रदूषण नियंत्रण पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य में गंगा सहित सभी नदियों की स्वच्छता तथा जलसंरक्षण के लिए व्यापक प्रयास किये जाने अभी शेष हैं। राज्य ने बागवानी और कृषि क्षेत्र में भी बहुत सी योजनाएं शुरू की हैं। विशेष रूप से स्ट्रॉबेरी, राजमा, सेब और हिमालयी औषधियों की खेती को बढ़ावा दिया गया है। कृषि प्रौद्योगिकी और कृषक समृद्धि योजनाएं राज्य में किसानों को अधिक लाभकारी बनाने के प्रयासों का हिस्सा हैं। इन सभी योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाना प्रत्येक जागरूक नागरिक का कर्तव्य है। राज्य में हिल एरिया विकास नीति और सिडकुल (उत्तराखण्ड राज्य औद्योगिक विकास निगम) के तहत उद्योगों की स्थापना की गई है। राज्य में कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, और सौर ऊर्जा उद्योग में भी निवेश बढ़ा है। राज्य में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए कई पहल की गयी हैं। राज्य में हस्तशिल्प और परंपरागत कला के क्षेत्रों में प्रगति हुई है। पिछले 24 सालों में चार धाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री) का आयोजन और श्रद्धालुओं के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है। राज्य में प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे की भूकंप, बर्फबारी और बाढ़ आती रहती हैं। राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं और संकट के समय नागरिकों की सहायता के लिए योजनाएँ बनाई हैं। राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ चलाई गई हैं, जैसे महिला स्वयं सहायता समूह और कृषि में महिला किसानों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके साथ ही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के तहत कई परियोजनाएँ संचालित हो रही हैं। राज्य में भ्रष्टाचार में कमी लाने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। परन्तु भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना अभी शेष है। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ही आमजन को सरकार द्वारा संचालित होने वाली कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। भले ही राज्य में प्रगति के लिए कई योजनाएं चल रही हैं परन्तु राज्य की मूल अवधारणा के अनुरूप विकास की लौ को राज्य के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना अभी शेष है। राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए सभी राज्यवासियों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

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