अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष - 2023
जौनसार बावर : जहां मनाया जाता है नेठाउण पर्व
सुभाष चन्द्र नौटियाल
कोदे की बुआई तथा निराई-गुड़ाई से सम्बन्धित है पर्व
नेठाउण पर्व को राष्ट्रीय कोदा दिवस घोषित करने की मांग
क्या होता है कोदो की नेठाउण पर्व?
कहां मनाया है नेठाउण पर्व?
देहरादून जनपद के जनजातिया क्षेत्र सम्पूर्ण जौनसार बावर तथा आस-पास के क्षेत्रों में यह पर्व मनाया जाता है।
देश में एक अलग पहचान रखता है जौनसार बावर क्षेत्र
क्यों मनाया है नेठाउण पर्व?
जौनसार बार क्षेत्र के लोग खेती-बाड़ी के कार्यों में एक-दूसरे का सहयोग करके कोदो की गुड़ाई सामूहिक रूप से करते हैं, जिसे ‘कोदो की गोडावणी’ कहा जाता है। खेती-बाड़ी जैसे श्रमसाध्य कार्य में निरन्तर उत्साह बनाये रखने, थकान मिटाने तथा मनोरंजन के साथ-साथ हल्की-फुल्की मजाक और स्थानीय संस्कृति को जीवंत बनाये रखने, सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए इस प्रकार के पर्व तथा उत्सवों का आयोजन किया जाता है। इस प्रकार के पर्वों के आयोजन से कार्य में उत्साह तथा उंमग का संचार होता है तथा कार्य के दौरान शक्ति तथा स्फूर्ति बनी रहती है। वास्तव में पर्व मनाने की परम्परा एक प्रकार का मनोविज्ञान है जिसके प्रभाव से हमारे अन्दर निरन्तर कार्य करने की शक्ति का संचार होता है।
कब मनाया जाता है कोदो की नेठाउण पर्व?
कैसे मनाया जाता है कोदो की नेठाउण पर्व?
नेठाउण पर्व को राष्ट्रीय कोदा दिवस घोषित करने की मांग
सेवानिवृत ज्वाइन्ट कमिश्नर शान्ति प्रसाद नौटियाल ने नेठाउण पर्व को राष्ट्रीय कोदा दिवस घोषित करने की मांग की है। श्री नौटियाल का मानना है कि, इस पर्व को राष्ट्रीय कोदू दिवस घोषित होने पर इस जनजातीय क्षेत्र व देवभूमि उत्तराखण्ड को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर नए पहचान भी श्रीअन्न के परिप्रेक्ष्य में मिलेगा। मिलेट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद ने उत्तराखण्ड में उत्पादित मोटे अनाजों को सर्वश्रेष्ठ माना गया है जिसमें कोदू उत्तराखंड की सर्वश्रेष्ठ उपज है। श्री नौटियाल का कहना है कि, यदि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश को देश की मिलेट राजधानी बनायेंगे तो देवभूमि उत्तराखण्ड के इस पर्व को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने के लिये सरकार को पहल करनी चाहिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड सरकार तथा भारत सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि, कोदे का उत्पादन बढ़ाने तथा क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए नेठाउण पर्व को राष्ट्रीय कोदा दिवस घोषित किया जाए। कालसी डिमऊ क्षेत्र के ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख भीम सिंह चौहान भी नेठाउण पर्व को पहचान दिलाने के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं। सावन की संक्रान्ति हरेला त्यौहार मनाया जाता है, यह त्यौहार कभी कुमाऊं के कुछ क्षेत्रों तक सीमित था पर सरकार व जनमानस के प्रचार-प्रसार व महत्व को देखते हुये उत्तराखण्ड का त्यौहार बन गया है। वह दिन दूर नहीं है जब विश्व में इस उत्सव की अपनी पहचान होगी, ऐसी ही जिजीविषा कोदो की नेठाउण के लिये भी चाहिए।
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