स्वागत योग्य कदम - TOURIST SANDESH

Breaking

शुक्रवार, 3 जून 2022

स्वागत योग्य कदम

 स्वागत योग्य कदम



प्रदेश के कृषि मंत्री गणेश जोशी के उस बयान का स्वागत किया जाना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा है कि, सरकार प्रदेश में अनिवार्य चकबन्दी लागू करने जा रही है। इसके तहत् प्रथम चरण में स्वैच्छिक चकबन्दी लागू की जायेगी। इसके बाद चकबन्दी को अनिवार्य कर दिया जायेगा। कृषि मंत्री गणेश जोशी का यह कहना भी उचित ही है कि, पहाड़ की खेती को लाभकारी बनाने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी जरूरी है। यदि वास्तव में वर्तमान धामी सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी की दिशा में गम्भीरता से कार्य करने की इच्छुक है तो निश्चित ही प्रदेश में इसके सकारात्मक परिणाम होगें तथा पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि सुधार की दिशा में नई उम्मीद जगेगी। प्रदेश में निरन्तर बंजर होते रकबे के लिए यह मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है तथा सरकार के इस कदम से पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में प्रदेश में नई क्रान्ति का उदय होगा। सुस्त और निरन्तर बंजर होती खेती में फिर से फसल लहलाने के लिए एक नई ऊर्जा का संचार होगा तथा यह रास्ता आत्मनिर्भरता से होते हुए आर्थिक समृद्धि की ओर खुलेगा।  

पहाड़ की कृषि लाभकारी न होने की वजह जोतों का छोटा तथा विखरा हुआ होना है। राज्य गठन से पूर्व तथा राज्य गठन के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी की बातें तो खूब जोर-शोर से होती रही हैं परन्तु राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण अब तक पर्वतीय क्षेत्रों के लिए चकबन्दी एक सपना बन कर रह गया।

तमाम प्रयासों के बाद वर्ष 2016 में चकबन्दी विधेयक अवश्य पास हुआ था परन्तु उसकी नियमावली बनाने में चार साल व्यतीत हो गये।

राज्य में वर्तमान में 9 लाख 40 हजार किसान से अधिक छोटे-बड़े किसान हैं तथा 6 लाख 48 हजार हेक्टेयर भूमि में वर्तमान में खेती हो रही है। चकबन्दी के प्रणेता गणेश सिंह गरीब सत्तर के दसक से ही पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी के लिए अलख जगाये हुए हैं परन्तु राज्य में गठित सरकारों की राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण इस क्षेत्र में अभी तक चकबन्दी नहीं हो पायी है। चकबन्दी को ही जीवन का मिशन बनाने वाले गणेश सिंह गरीब का मानना है कि, क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि के लिए चकबन्दी अनिवार्य है।

ध्यान रहे कि, पर्वतीय प्रदेश उत्तराखण्ड की आर्थिकी मूलतः कृषि पर ही आधारित है परन्तु टुकड़ों में विखरे हुए मीलों-फर्लांगों तक फैले हुए खेतों में लाभदायक कृषि करना अब सम्भव नहीं रह गया है।

भले राज्य में गठित सरकारें भी इस बात को अच्छी तरह महसूस करती रही हैं कि, राज्य की आर्थिक समृद्धि के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में चकबन्दी अनिवार्य है परन्तु राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी तथा ढुलमुल रवैये के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले 22 सालों से चकबन्दी लागू नहीं हो पायी है। ऐसे में यदि वर्तमान धामी सरकार चकबन्दी की दिशा में सकारात्मक पहल करती है तो निश्चित रूप से राज्य के आमजन के हित में यह स्वागत योग्य कदम होगा तथा इस पहल से राज्य के कृषि क्षेत्र में नवयुग का सूत्रपात होगा। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें