उत्तराखण्ड के विश्व धरोहर स्थल
डॉ प्रतिभा
‘यूनेस्को’UNESCO संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन का लघुरूप है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है। इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन 16 नवम्बर 1945 को हुआ था। इसका मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) में है।
उद्देश्य - यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल विशेष भौतिक या सांस्कृतिक महत्व का कोई भी स्थान जैसे जंगल, झील, भवन, द्वीप, पहाड़, स्मारक, रेगिस्तान, परिसर या शहर हो सकता है। जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं यह समिति इन स्थलों की देखरेख यूनेस्को के तत्वावधान में करती है।
विश्व धरोहर संरक्षण का कार्य- प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेषज्ञ की सम्पत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो। आने वाली पीढ़ियों के लिए और मानवता के हित के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे इनका संरक्षण करें। इनके संरक्षण की जिम्मेदारी पूरे विश्व समुदाय की होती है किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए संगठन द्वारा आंकलन किया जाता है। फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश की जाती है। विश्व विरासत स्थल समिति चयनित खास स्थानों की देखरेख यूनेस्को के तत्वावधान में करती है।
विश्व में अभी 1092 विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें से 37 विश्व विरासत सम्पत्तियां भारत में हैं। इनमें 29 सांस्कृतिक सम्पत्तियां, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित स्थल है। इनमें से उत्तराखण्ड के विश्व धरोहर स्थलों पर एक नजर डालते हैं।
नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान- नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान अर्थात नन्दा देवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य एक विश्व धरोहर है। यह उत्तराखण्ड राज्य में नन्दा देवी पर्वत के आस पास का इलाका है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। जो जोशीमठ से लगभग 24 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। यह नेशनल पार्क 630 वर्ग कि0मी0 के क्षेत्र में फैला हुआ है जो चारों तरफ से नंदा देवी पर्वत से घिरा हुआ है। नंदा देवी पर्वत देश की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है।
यह उत्तर भारत का विशालतम अभयारण्य है, जिसे सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान, घोषित किया गया था तथा फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सहित सन् 1988 में विश्व संगठन यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया जा चुका है। नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर नन्दा देवी बायोस्फियर रिजर्व बनता है जिसका कुल क्षेत्रफल 2236.74 वर्ग कि0मी0 है और इसके चारों ओर 5148.57 वर्ग कि0मी0 का मध्यवर्ती क्षेत्र है। यह रिजर्व यूनेस्को की विश्व के बायोस्फेयर रिजर्व की सूची में सन् 2004 से अंकित किया जा चुका है।इस अभयारण्य को दो भागों में बांटा जा सकता है भीतरी और बाहरी। दोनों को उत्तर, पूर्व और दक्षिण की तरफ से दीवारनुमा ऊँची-ऊँची चोटियां घेरे हुये है। और पश्चिम की तरफ और दक्षिण की पर्वत श्रेणियां ऋषिगंगा दर्रे में जाकर मिल जाती है।
भीतरी अभयारण्य लगभग पूरे क्षेत्रफल के दो तिहाई हिस्से में फैला हुआ है और इसी इलाके में नंदा देवी पर्वत के साथ साथ उत्तरी और दक्षिणी ऋषि हिमनद भी हैं। जो नंदा देवी चोटी के दोनों ओर स्थित है। बाहरी अभ्यारण्य पश्चिम में कुल क्षेत्रफल का एक तिहाई हिस्सा लेता है और भीतरी अभयारण्य से ऊंची पर्वत श्रेणियों से अलग होता है। इसमें ऋषि गंगा बहती है जो इसे दो भागों में बांटती है। इसके उत्तरी भाग में रमनी हिमनद है जो दूनागिरी और चांगाबांग चोटियों की ढलानों से नीचे बहता है। इसके दक्षिणी भाग में त्रिशूल हिमनद है जो त्रिशूल पर्वत से नीचे बहता है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में आकर पर्यटक हिम तेंदुआ, हिमालयन काला भालू, सिरो, भूरा भालू, रूवी था्रेट, भरल, लंगूर, ग्रोसबिक्स, हिमालय कस्तूरी मृग और हिमालय तलहटी को देख सकते हैं। इस राष्ट्रीय पार्क में लगभग 100 प्रजातियों की चिड़ियों का प्राकृतिक आवास है। यहां आमतौर पर देखी जाने वाली चिड़ियां औरेंज फ्लैक्ड बुश रॉबिन, ब्लू फ्रंटेड, रेड स्टार्ट, येलो विल्लाइड फेनरेल फ्लाईकैचर, इंडियन ही विपिट और विनासियास ब्रेस्टेड विविट है। इस पार्क में चिड़ियों के अलावा लगभग 312 प्रजातियों के सुंदर फूल और खूबसूरत तितलियां भी देखी जा सकती है।यात्रा करने का सबसे अच्छा समय- ऊंचाई होने के कारण, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु अलग है। वर्ष के छह महीनों के लिए, क्षेत्र एक बर्फ की चादर से नीचे रहता है। शेष वर्ष के लिए इस क्षेत्र में जून से अगस्त तक भारी वर्षा के साथ शुष्क जलवायु होती है। अप्रैल से जून ऐसे महीने होते हैं जब तापमान थोड़ा बढ़ जाता है और यही ऐसे महीने होते हैं जो यात्रा के लिए अच्छा समय है।
यहां तक कैसे पहुंच सके हैं या (आवागमन-हवाई जहाज द्वारा)
यावायु मार्ग द्वारा- यहां का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून के जॉलीग्रान्ट में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 295 कि0मी0 की दूरी पर है। इस हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए नियमित उड़ाने हैं।
रेल मार्ग द्वारा- यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 300 कि0मी0 की दूरी पर है।
सड़क मार्ग द्वारा- यहां का निकटतम बस स्टेशन लता ग्राम बस स्टेशन तथा जोशीमठ बस अड्डा है जो लगभग 52 कि0मी0 की दूरी पर है। यह बस जोशीमठ से सीधे ऋषिकेश, नैनीताल और देहरादून के लिए निकलती है।
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में अंससमल वि थ्सवूमते कहते है। यह उत्तराखण्ड राज्य के गढवाल क्षेत्र के हिमालयी क्षेत्र में चमोली जिले में स्थित है। नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं। फूलों की घाटी उद्यान 85.50 कि0मी0 वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है। चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी को विश्व संगठन यूनेस्को, द्वारा सन 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
फूलों की घाटी अपने फूलों, हरियाली और स्वच्छ वातावरण के लिए विश्व विख्यात है। उत्तराखंड भारत के सबसे सुन्दर राज्यों में से एक है, यह एक ऐसा राज्य है जो न केवल आस्था की दृष्टि अपितु पर्यटन की दृष्टि से भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया। वैसे तो कहते हैं कि नंदकानन के नाम से इसका वर्णन ‘रामायण और महाभारत’ में भी मिलता है यह माना जाता है कि यही वह जगह है जहां से हनुमान जी भगवान राम के भाई लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाए थे परन्तु स्थानीय लोग इसे परियों का निवास स्थान समझते हैं। आधुनिक समय में बितानी पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने सन् 1931 में इसकी खोज की थी और तब से ही एक पर्यटन स्थल बन गया।
यदि आपको फूलों से प्र्रेम है तो यह जगह आपके लिए अति उत्तम है। यहां आने वाले सैलानी फूलों के साथ-साथ यहां सिखों का धार्मिक स्थल ‘हेमकुंड साहिब’ के दर्शन करने का भी सौभाग्य प्राप्त होगा। हेमकुण्ड साहिब को केवल धार्मिक स्थल कहा जाए तो यह भी गलत होगा क्योंकि यह स्थल आस्थाओं से सरोबार होने के साथ-साथ प्रकृति के अद्भुत नजारों से भरी गोद में बसा हुआ है। साथ ही इस खूबसूरत सी फूलों की घाटी में ट्रेकिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
प्रमुख पुष्प प्रजातियां- इस घाटी में लगभग 300 से अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे सुन्दर पुष्प पाये जाते हैं इस घाटी में प्रमुख रूप से पाए जाने वाले पुष्पों में मुख्य रूप से एनीमोन, जमैनियम, मार्श, गेंदा, प्रिभुला, पेटेन्टिला, जिउम,तारक, लिलियम, मिलयी नीला पोस्त, बछनाम, डेलफिनियम, रानुनकुलस, फोरिडलिस, इन्डुला, सौसुरिया, कम्पानुला, पेडिक्यूलरिस, मोरिना, इम्पेटिनस, बिस्टोरटा, एक्युलेगिया, कोडोनोपसिस, डैक्टाइलोंरहिज्म, साइप्रिपेडियम, स्ट्राबेरी एवं रोडोडियोड्रान इत्यादि शामिल हैं इस घाटी में 15 जुलाई से 15 अगस्त तक यहां पर अत्याधिक मात्रा में पुष्प उगते हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने यहां पर रंगोली का निर्माण किया हो।
भ्रमण का उपयुक्त मौसम- फूलों की घाटी भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितम्बर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है। सितम्बर में ब्रहमकमल खिलते हैं। कहा जाता है कि यहां के फूलों में अद्भुत औषधीय गुण होते हैं और यहां मिलने वाले सभी फूलों की दवाईयों में इस्तेमाल होता है। हृदय रोग, अस्थमा, शुगर, मानसिक उन्माद, किडनी, लीवर औंर कैंसर जैसी भयानक रोगों को ठीक करने की क्षमता वाली औषधियां भी यहां पाई जाती है। इसके अलावा यहां सैकड़ों बहुमूल्य जड़ी-बूटियां और वनस्पति पाए जाते हैं जो कि अत्यन्त दुर्लभ है और विश्व में कहीं और नहीं पाए जाते, जो इस घाटी को और भी अधिक सुन्दर एवं महत्वपूर्ण बना देते हैं।
यहां तक कैसे पहुंॅचे- या (आवागमन)
वायु मार्ग से- यहां का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून के जॉलीग्रान्ट में है। इस हवाईअड्डे से दिल्ली के लिए नियमित उड़ाने हैं। जॉलीग्रान्ट हवाई अड्डा हरिद्वार से लगभग 48 कि0मी0 दूर स्थित है।
रेल मार्ग से- एक उत्कृष्ट रेल नेटवर्क हरिद्वार को दिल्ली, मंसूरी, मुम्बई, वाराणसी, लखनऊ और कोलकाता जैसे अन्य महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ता है। कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं दिल्ली-डीडीएन एनजेडएम एसी एक्सप्रेस(2205) कोलकाता-दून एक्सप्रेस (13009), मुम्बई- देहरादून एक्सप्रेस (19019) चेन्नई- देहरादून एक्सप्रेस (12687)
सड़क मार्ग से- फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्द घाट 275 कि0मी0 दूर है।
जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 कि0मी0 है। यहां से प्रवेश स्थल की दूरी लगभग 13 कि0मी0 है। यह बस अड्डा सीधे ऋषिकेश, नैनीताल और देहरादून से सड़क मार्ग से जुड़ा है। हरिद्वार देश के प्रमुख स्थलों के साथ जुड़ा है। एन.एच 72 हरिद्वार को जहां उत्तर-पश्चिम से जोड़ता है उसके बाद पंचकुला, चंडीगढ़ और शिमला को जोड़ता है। एनएच 72 ए हरिद्वार को रूड़की (35 कि0मी0) पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोड़ता है।
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