आज़ादी का तराना - TOURIST SANDESH

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मंगलवार, 25 अगस्त 2020

आज़ादी का तराना

आज़ादी का तराना


रिद्धी भट्ट


सोने की चिड़िया बने न बने मिट्टी तेरी आबाद रहे।

दूध की नदियां बहे न बहे पाक हवा औ’आब रहे।

खिल जाएं चेहरों की चमक नज़्म ए दिल लब बोल उठे 

गुल ए चमन खिले न खिले चैनो अमन शादाब रहे।

आँखों की ज़ुबानी कह जाएं इश्के वतन की दस्तानी

पीर फकीर कहे न कहे लहज़े में सदा आदाब रहे।

पुरजोर करे नींदों की खलिश तुझे दर से बेदर करने की

चैन मिले तब रूहों को आँखों में घिरा ख़्वाब रहे।

बिस्मिल गुरु या हो भगत खोए हैं ढेरों शेर यहाँ

लाखों बैठे सरफ़रोश यहां ये देश मेरा आज़ाद रहे। 

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