ठण्डी फुहार में हसीन सपने - TOURIST SANDESH

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रविवार, 5 सितंबर 2021

ठण्डी फुहार में हसीन सपने

 व्यंग्य

पव्वा दर्शन

ठण्डी फुहार में हसीन सपने

 बल भैजी, राजनीति और औरत चाहे निपट बांझ ही क्यों न हो उम्मीद का दामन सदा थामे रहती है। अब देखो न देवभूमि में विकास की चिन्ता में एक मुख्यमंत्री के चार साल पूरे नहीं होने दिये और दूसरे चार महीने में ही निपट लिए अब विकास की आस में तीसरे मुख्यमंत्रीं प्रयासरत हैं। सुना है देवभूमि में सत्ताधारी दल विकास को लेकर बहुत चिन्तित है तभी तो आमजन भी उम्मीद का दामन थामे बैठा है। तेजी से बदलते मुख्यमंत्री से लगता है कि, अपने इन पांच सालों में विकासरूपी सपने को पूरा कर के ही दम लेगें। उम्मीद तो यह भी बनी हुई है कि, सत्ताधारी दल फिर एक बार पांच साल पूरे करने के इरादे से चुनावी रण में उतरेगें। भले ही इस कार्यकाल में देवभूमि की सरकार अभी तक रगरृयाट ही कर रही है। विकास का रगरृयाट, अच्छे दिन लाने के लिए रगरृयाट, और न जाने क्या-क्या......... अच्छे दिनों की आस में खनन माफियों द्वारा नदियों में गहरे-गहरे गड्डे खोदे जा चुके हैं, भूमाफियों द्वारा जमीनों पर कब्जा किया जाना जारी है, शराब की सप्लाई घर-घर तक पहुंचाने की व्यवस्था हो चुकी है। कोरोना रूपी हन्त्या अभी भी घर-घर में नृत्य करने के लिए आतुर है। भले ही देवभूमि में शिक्षा, स्वास्थ्य और नौजवानों के लिए रोजगार चौपट हो गये हों स्थानीय जनों के हक-हकूक हाथ से भले ही फिसलता ही जा रहे हां परन्तु विकासरूपी गंगा तो बही है। उम्मीद तो बनी हुई है कि- देर होली, अबेर होली, एक-न-एक दिन सबेर होली..............

प्रदेश में बने पलायन आयोग ने अपसंस्कृति का आयात तो जमकर किया परन्तु यहां की संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाज, बोली-भाषा तथा संस्कारों का पलायन करवा दिया।  फिर भी अच्छे दिनों के आस में सूखे गधेरे कणाट कर रहे हैं। देखो सरकार ने गधेरों की कणाट को कम करने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं। अब क्या होता है आगे, शायद, गधेरों के अच्छे दिन आ जांए या देवभूमि की कोई पहाड़ी किसी धन्नासेठ के हाथ में गिरवी हो जाए, होने को तो कुछ भी हो सकता है। सरकार मूढ़ में है, देवभूमि के गाड- गदेरों को गिरवी रखने की तैयारी हो चुकी है बस ! खरीददार चाहिए। वैसे तो जनसेवा के नाम पर सरकार हर बार फुर पत्यैं, मेरि कुडयीं कत्यैं  हो जाती है। पता ही नहीं चलता कब आयी और कब चली गयी। फटाक से फुर्र हो जाती है। विकास तो नजर आता नहीं। विकास के नाम पर तो सिर्फ गाड-गदेरों  की तबाही ही नजर आती है जिसे देखकर हम आज भी सहम जाते हैं। फिर भी सरकार इसी दिशा में निरन्तर गतिशील है।

रामू काका कल ही कह रहा था, उधार का घी पीकर जनता- जनार्धन छक चुकी है। अब कुछ तो बदलाव हो ताकि खालीपन भर सके। मेरे प्यारे भरतवंशियों चिन्ता मत करो बिल्कुल निःशंक रहो। एक पहाड़ी लतड़ाक और चलो अच्छे दिन आपका इन्तजार कर रहे हैं। सौंण-भादौं की बरसात अब थम चुकी है। चिन्ता की कोई बात नहीं, बरसात के पानी में अब किसी गरीब की झोपड़ी डूबने वाली नहीं है। आने वाले महीनों में थोड़ा ठण्ड जरूर होगी भगवान आप को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। अब बीती ताई बिसार दे आगे की सुध ले। विकास रूपी कर्फ्यू अब आमजन पर लगने ही वाला है। कोरोना का कर्फ्यू आप झेल ही रहे हैं। सरकार के पिछले वर्षों में जो कमी रह गयी थी वह इस वर्ष अवश्य पूर्ण होगी। तभी तो सूबे में निजाम-पर-निजाम बदले जा रहे हैं और यदि आवश्यकता पड़ी तो यह सिलसिला आगे भी जारी रखने के लिए तैयार हैं परन्तु आमजन को बिल्कुल भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। ध्यान रहे सरकार आप की है, क्यों कि, सरकार का चुनाव भी आप के शुभ हाथों से ही सम्पन्न होता है। आप किसी भी प्रकार की बिल्कुल चिन्ता न करें। सरकार है ना। लॉकडाउन सहित हुए सभी नुकसान की भरपायी भी हो जायेगी। यदि विकास रूपी कर्फ्यू में कोई कमी रह गई तो विकास रूपी ग्रहण तो लग ही सकता है। यह भी अजीब संयोग ही है कि, जब आमजन के भाग्य की छतरी में छेद ही छेद हैं तो सरकार भी क्या करे बेचारी। सरकार तो कोशिश ही कर सकती है कोई भाग्य की छतरी के छेद थोड़ी बन्द कर सकती है। सरकार ने पूरी ताकत लगा रखी है परन्तु विपक्ष सब बैर पड़े हैं बरबस मुख लपटयो। उन्हें तो विकास नजर नहीं आता उन्हें तो खोट ही खोट नजर आते हैं। देखो भैजी! बल आप मानो या न मानो उम्मीदों में विकास के घोड़े सरपट दौड़ रहे हैं। परन्तु नंगा क्या नहायेगा, क्या निचोड़ेगा उनके लिए तो विकास बेगाने सनम भये, चोटी वाले की तरह ही है। सरकार भी क्या करे अब, जब इस भारी-भरकम प्रयासों के बाद भी विकास से कोई जन अछूता रह जाये। देश में अब बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भय, भूख, गरीबी और भ्रष्टाचार  बीते जमाने की बात हो चुकी है। देश में अब नारियों का अपमान, दुराचार और चरित्रहनन नहीं होता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद आदि दुगुर्णों से देश पूर्ण रूप से मुक्त हो चुका है। जो थोड़े बहुत दुर्गुणी बचे हैं उनसे भी निपट ही लिया जायेगा। रामराज की पहरेदारी से देश में हम सब बेफिक्र और सुरक्षित हैं। चरित्रता, नैतिकता तथा आदर्शता अब पिछड़ेपन की निशानी है, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी अब मानव रहित हो चुकी है। अब तो यही शेष है- राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट......  जीवन में स्वस्थ रहें मस्त रहें। बस, किसी को शिकायत मौका न दें, चैरेवेति-चैरेवेति यही जीवन का सार है। यहीं से जीवन की नैया पार है। बल भैजी! ये आने वाले समय की ठण्डी फुहार के हसीन सपने हैं इन्हें संजोकर रखें। आखिर 2022 में वोट देने के लिए लाइन में लगने वाले भी आप ही हैं। अपने भाग्यविधाता तो आप स्वयं ही हैं।


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